पहलगाम आतंकी हमले के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर केंद्र सरकार की सख्ती: जानिए क्या है पूरा मामला

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला और सोशल मीडिया की भूमिका

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद न सिर्फ सुरक्षा एजेंसियां हरकत में आईं, बल्कि केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल इंफ्लुएंसर्स की भूमिका पर भी सख्त रुख अपनाया है।

सरकार का मानना है कि कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स और प्लेटफॉर्म्स, विशेषकर पड़ोसी देश पाकिस्तान से संचालित होने वाले चैनल्स, भारत विरोधी एजेंडे को बढ़ावा दे रहे हैं। इनमें गलत सूचनाएं, फेक वीडियो और हिंसा भड़काने वाली सामग्री का प्रसार किया जा रहा है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है।

सोशल मीडिया पर सरकार की सख्ती: किन पर पड़ेगा असर




केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ऐसे सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, चैनल्स और इंफ्लुएंसर्स पर सख्त कार्रवाई की जाए, जो देश के खिलाफ काम कर रहे हैं या हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने इस मुद्दे पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए इन मंत्रालयों से विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है। समिति का कहना है कि कुछ सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स और यूट्यूब चैनल्स जानबूझकर गलत जानकारी फैलाकर देश में भ्रम और अस्थिरता का माहौल बना रहे हैं।

भारत सरकार की कार्रवाई: पाकिस्तान से संचालित चैनल्स पर बैन


इस हमले के बाद भारत सरकार ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और पाकिस्तान से संचालित 16 यूट्यूब चैनल्स को ब्लॉक कर दिया। ये चैनल्स भारत विरोधी दुष्प्रचार और झूठी खबरें फैला रहे थे। इसके साथ ही पाकिस्तान सरकार के आधिकारिक ट्विटर (अब X) अकाउंट को भी भारत में ब्लॉक कर दिया गया है।

इस कदम का उद्देश्य साफ है—ऐसी किसी भी जानकारी या मीडिया को रोकना जो देश के भीतर अस्थिरता फैलाने की मंशा रखती हो। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से बेहद जरूरी था, क्योंकि सोशल मीडिया आज जनमत और सोच को प्रभावित करने का एक बड़ा हथियार बन चुका है।

AI और फेक वीडियो का दुष्प्रयोग: सरकार की चेतावनी


सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि कई फेक वीडियो, एडिटेड क्लिप्स और AI जनरेटेड कंटेंट्स इंटरनेट पर वायरल किए जा रहे हैं, जो या तो पीड़ितों का मजाक उड़ाते हैं या फिर घटनाओं को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं। ऐसी सामग्री का उद्देश्य लोगों को गुमराह करना और भावनात्मक रूप से उकसाना है।

भारत सरकार ने नागरिकों से अपील की है कि वे केवल आधिकारिक और विश्वसनीय स्रोतों से ही जानकारी प्राप्त करें और सोशल मीडिया पर वायरल किसी भी जानकारी को बिना पुष्टि के आगे न बढ़ाएं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जिम्मेदारी और जवाबदेही


आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया न सिर्फ संवाद का माध्यम है, बल्कि यह जनमत निर्माण का एक सशक्त प्लेटफॉर्म भी बन चुका है। ऐसे में सोशल मीडिया कंपनियों की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपनी सामग्री पर नियंत्रण रखें और किसी भी राष्ट्रविरोधी, सांप्रदायिक या भड़काऊ सामग्री को बढ़ावा न दें।

सरकार की मांग है कि इन प्लेटफॉर्म्स को अपने एल्गोरिद्म और मॉडरेशन टूल्स को और अधिक सख्त बनाना चाहिए ताकि देश की सुरक्षा और एकता को कोई नुकसान न पहुंचे।

राष्ट्रीय सुरक्षा बनाम डिजिटल स्वतंत्रता: संतुलन की जरूरत


हालांकि कुछ लोग इसे डिजिटल स्वतंत्रता के हनन के रूप में देख सकते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। भारत सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि डिजिटल आज़ादी के नाम पर देशद्रोह को बढ़ावा न मिले।

संविधान के तहत हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन जब यह स्वतंत्रता हिंसा भड़काने, अफवाह फैलाने या दुश्मन देशों की साजिशों का हिस्सा बनने लगे, तो उस पर रोक लगाना जरूरी हो जाता है।

भविष्य की राह: जिम्मेदार डिजिटल नागरिक बनना होगा


सरकार की इन सख्तियों के बीच यह भी जरूरी है कि हम सभी नागरिक, खासकर युवा वर्ग, डिजिटल जिम्मेदारी समझें। सोशल मीडिया पर कोई भी जानकारी शेयर करने से पहले उसकी सत्यता की जांच करें और किसी भी तरह की अफवाह या फेक न्यूज को बढ़ावा न दें।

देश की सुरक्षा सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक की भी है। डिजिटल युग में देशभक्ति का एक रूप यह भी है कि हम सोशल मीडिया पर राष्ट्रहित में जिम्मेदारी से व्यवहार करें।

निष्कर्ष: सोशल मीडिया पर नियंत्रण जरूरी, लेकिन विवेकपूर्ण तरीके से


पहलगाम आतंकी हमले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सोशल मीडिया को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत सरकार द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जवाबदेही की मांग, समय की जरूरत है।

लेकिन इस प्रक्रिया में नागरिक अधिकारों और डिजिटल स्वतंत्रता के संतुलन को भी बनाए रखना जरूरी है। एक मजबूत, सुरक्षित और जागरूक डिजिटल भारत का निर्माण तभी संभव है जब सरकार, सोशल मीडिया कंपनियां और नागरिक—तीनों मिलकर जिम्मेदारी निभाएं।

क्या आप भी मानते हैं कि सोशल मीडिया पर और नियंत्रण जरूरी है? नीचे कमेंट में अपनी राय ज़रूर साझा करें।