इजरायल-ईरान युद्ध की दस्तक: परमाणु ठिकानों पर जबरदस्त हमला, दुनिया में फिर अशांति का खतरा

पश्चिम एशिया एक बार फिर जंग की आग में झुलसने की कगार पर खड़ा है। इजरायल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम और सैन्य ठिकानों पर एक बड़े स्तर की एयरस्ट्राइक कर दी है, जिसे अब तक का सबसे गंभीर हमला माना जा रहा है। यह हमला ऐसे समय पर हुआ है जब दुनिया पहले से ही यूक्रेन-रूस और गाजा युद्ध जैसी स्थितियों से जूझ रही है। इजरायल ने यह दावा किया है कि उसने ईरान की राजधानी तेहरान समेत कई प्रमुख इलाकों में दर्जनों ठिकानों को निशाना बनाया है, जहां ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को गुप्त रूप से चला रहा था।

तेहरान में देर रात भारी धमाकों की आवाजें सुनी गईं। स्थानीय मीडिया और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में आसमान में आग के गोले और धुएं के गुबार देखे जा सकते हैं। लोगों में अफरा-तफरी मच गई है और राजधानी में आपातकाल जैसी स्थिति बन गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायली वायुसेना ने नतांज़ और फोर्दौ जैसे उन ठिकानों को निशाना बनाया है जहां ईरान उच्च स्तर पर यूरेनियम संवर्धन कर रहा था। ये वही स्थान हैं जिनके बारे में पश्चिमी खुफिया एजेंसियों को लंबे समय से संदेह था कि ईरान यहां परमाणु हथियार बनाने की दिशा में बढ़ रहा है।



इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले को 'पूर्व-खतरे को खत्म करने की कार्रवाई' बताया है। उन्होंने कहा कि अगर अब कार्रवाई नहीं की जाती, तो भविष्य में ईरान के पास विनाशकारी परमाणु हथियार होते जो न केवल इजरायल, बल्कि पूरे विश्व के लिए खतरा बन सकते थे। इस हमले के बाद इजरायल ने अपनी सीमाओं पर हाई अलर्ट घोषित कर दिया है और मिसाइल डिफेंस सिस्टम पूरी तरह सक्रिय कर दिए हैं। वहीं अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि उसने इस हमले में कोई भागीदारी नहीं की, लेकिन वह स्थिति पर निगरानी रख रहा है।

ईरान की प्रतिक्रिया अभी तक पूरी तरह सामने नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि वह बदले की कार्रवाई कर सकता है। पहले भी ईरान ने चेतावनी दी थी कि अगर उसके सैन्य या परमाणु ठिकानों पर हमला हुआ, तो वह इजरायल के खिलाफ बड़ी प्रतिक्रिया देगा। ऐसे में यह संघर्ष और भी खतरनाक मोड़ ले सकता है। यदि ईरान ने जवाबी मिसाइल या ड्रोन हमले शुरू किए, तो पूरा पश्चिम एशिया युद्ध की चपेट में आ सकता है।

इस हमले का असर केवल सैन्य स्तर तक सीमित नहीं है। तेल की कीमतों में तुरंत उछाल देखा गया है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनिश्चितता बढ़ गई है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यदि यह युद्ध लंबा खिंचा, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था और आपूर्ति श्रृंखला पर बड़ा असर पड़ेगा। साथ ही भारत समेत उन देशों पर भी असर पड़ेगा जो ऊर्जा के लिए खाड़ी देशों पर निर्भर हैं।

इस समय संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक शक्तियों की जिम्मेदारी है कि वे दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करें और इस बढ़ते हुए तनाव को रोकें। यदि कूटनीतिक प्रयास नहीं किए गए, तो यह संघर्ष तीसरे विश्व युद्ध जैसी स्थिति की नींव रख सकता है।

इस हमले ने दुनिया को फिर याद दिलाया है कि शांति कितनी नाजुक होती है और युद्ध की एक चिंगारी कैसे लाखों लोगों की ज़िंदगी को अंधकार में धकेल सकती है। अब समय आ गया है कि वैश्विक समुदाय शांति के लिए एकजुट होकर प्रयास करे, इससे पहले कि देर हो जाए।