👋 Join Us ऑपरेशन ब्लू स्टार पर अलका लाम्बा की मांग: 40 साल बाद भी क्यों जरूरी है सच्चाई का सामने आना?

ऑपरेशन ब्लू स्टार पर अलका लाम्बा की मांग: 40 साल बाद भी क्यों जरूरी है सच्चाई का सामने आना?

हाल ही में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अलका लाम्बा का एक बयान सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा का विषय बन गया है। अपने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि वह 1984 में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार से संबंधित सभी दस्तावेज़ों को सार्वजनिक करे। यह मांग ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी ने भी सार्वजनिक मंच पर इस ऑपरेशन को एक “राजनीतिक भूल” माना है। राहुल गांधी ने एक अमेरिकी कार्यक्रम में कहा कि वह कांग्रेस द्वारा 1980 के दशक में की गई कई गलतियों की जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं, चाहे उस समय वह सक्रिय राजनीति में नहीं थे।

ऑपरेशन ब्लू स्टार 1 जून 1984 से लेकर 8 जून 1984 के बीच अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में भारतीय सेना द्वारा चलाया गया एक सैन्य अभियान था। इसका उद्देश्य था खालिस्तान समर्थक नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके सशस्त्र समर्थकों को मंदिर परिसर से हटाना। यह ऑपरेशन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर चलाया गया था और इसे भारतीय इतिहास के सबसे विवादित सैन्य अभियानों में से एक माना जाता है। इस ऑपरेशन में सेना के 83 जवान शहीद हुए थे और कुल 492 लोगों की जान गई थी। इसके बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या और सिख विरोधी दंगों की भयावह घटनाएं शामिल हैं।

अलका लाम्बा की मांग के पीछे यह विचार है कि यदि इन घटनाओं से जुड़े दस्तावेज़ सामने लाए जाते हैं, तो न केवल इतिहास के इस दुखद अध्याय को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सही सबक भी लिया जा सकेगा। यह मांग केवल कांग्रेस पार्टी तक सीमित नहीं है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सरदार आर.पी. सिंह ने भी 1984 के दंगों और ऑपरेशन ब्लू स्टार से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग करते हुए गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा था। उन्होंने इस विषय पर एक सत्य आयोग गठित करने का सुझाव भी दिया था।
आर.पी. सिंह का बयान पढ़ें – ऑपरेशन ब्लू स्टार पर दस्तावेज़ सार्वजनिक करने की मांग

यह मुद्दा केवल भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उठाया गया है। ब्रिटेन के सांसद तनमनजीत सिंह धेसी ने ब्रिटिश संसद में यह मांग रखी कि 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर की भूमिका की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।
ब्रिटिश संसद में उठा ऑपरेशन ब्लू स्टार का मामला – पूरी रिपोर्ट पढ़ें

इन सभी मांगों और प्रतिक्रियाओं से यह स्पष्ट है कि ऑपरेशन ब्लू स्टार आज भी देश की राजनीति और सामाजिक चेतना में एक ज्वलंत विषय बना हुआ है। जब तक इससे जुड़े सभी तथ्यों को सामने नहीं लाया जाएगा, तब तक पीड़ित परिवारों को न्याय और देश को पूर्ण सच्चाई नहीं मिल पाएगी। अलका लाम्बा की यह पहल न केवल ऐतिहासिक न्याय के लिए एक जरूरी कदम है, बल्कि यह राजनीतिक दलों की पारदर्शिता और जवाबदेही की परीक्षा भी है। यदि सरकार इन दस्तावेज़ों को सार्वजनिक करती है, तो यह देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक बड़ा और साहसिक निर्णय माना जाएगा।