14 मई 2025 को दुनिया की नजरें पाकिस्तान के उस हिस्से पर टिक गईं जिसे लंबे समय से उपेक्षा और शोषण का प्रतीक माना जाता रहा है। बलूचिस्तान ने खुद को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया है। यह ऐलान बलूच लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता मीर यार बलोच ने किया, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बलूचिस्तान को “डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान” के रूप में मान्यता देने की अपील की है। यह ऐतिहासिक घोषणा पाकिस्तान के लिए एक गहरी चुनौती बन गई है, जबकि दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक समीकरण भी तेजी से बदलते नजर आ रहे हैं।
मीर यार बलोच ने इस स्वतंत्रता घोषणा के साथ संयुक्त राष्ट्र (UN) से बलूचिस्तान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने भारत सरकार से नई दिल्ली में बलूच दूतावास खोलने की अनुमति भी मांगी है। उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र को बलूचिस्तान में शांति मिशन भेजना चाहिए ताकि वहां के लोगों को सुरक्षा और न्याय मिल सके। मीर यार बलोच का यह बयान भारत, पाकिस्तान और वैश्विक समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बन गया है।
इस घोषणा के बाद बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने कई सैन्य कार्रवाइयों की जानकारी दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, BLA ने कलात जिले के मंगोचर शहर पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है और 39 से अधिक जगहों पर हमले किए हैं। इन कार्रवाइयों से यह साफ हो गया है कि बलूचिस्तान में स्वतंत्रता आंदोलन अब सिर्फ वैचारिक नहीं रहा, बल्कि वह सैन्य और रणनीतिक स्तर पर भी सक्रिय हो चुका है।
हालांकि बलूचिस्तान की इस घोषणा को अभी तक किसी भी देश या अंतरराष्ट्रीय संस्था ने आधिकारिक मान्यता नहीं दी है। लेकिन यह साफ है कि बलूचिस्तान की आवाज अब वैश्विक मंच पर पहुंच चुकी है। बलूच नेताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि पाकिस्तान की सेना लंबे समय से बलूच जनता पर अत्याचार कर रही है और उनके प्राकृतिक संसाधनों का शोषण कर रही है। यही कारण है कि उन्होंने पाकिस्तान सेना से बलूचिस्तान छोड़ने की मांग की है।
मीर यार बलोच की यह घोषणा न केवल पाकिस्तान के लिए गंभीर संकट है बल्कि भारत के लिए भी कूटनीतिक अवसर हो सकता है। भारत हमेशा से बलूचिस्तान में मानवाधिकार हनन के मामलों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है। अगर भारत बलूचिस्तान को मान्यता देता है या बलूच दूतावास खोलने की अनुमति देता है, तो यह पाकिस्तान के खिलाफ एक बड़ा राजनीतिक संकेत हो सकता है।
इस घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर बलूच जनता में उत्साह देखने को मिला है। कई बलूच कार्यकर्ताओं ने इसे ऐतिहासिक क्षण बताते हुए अंतरराष्ट्रीय समर्थन की अपील की है। वहीं पाकिस्तान सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में बलूचिस्तान में सेना की तैनाती और सख्ती बढ़ सकती है।
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, जो खनिज संपदा से भरपूर है। बावजूद इसके, यहां के लोगों को लंबे समय से विकास, रोजगार और शिक्षा से वंचित रखा गया है। यही कारण है कि यहां का स्वतंत्रता आंदोलन कई दशकों से जारी है। मीर यार बलोच जैसे नेता इस आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की कोशिश कर रहे हैं और अब लगता है कि उनकी आवाज को दुनिया में सुना जा रहा है।
इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आने वाले समय में दक्षिण एशिया की राजनीति और सामरिक रणनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। अगर बलूचिस्तान को मान्यता मिलती है तो यह पाकिस्तान की अखंडता के लिए एक बड़ा झटका होगा और भारत-पाक संबंधों में भी नई दिशा का संकेत दे सकता है।
बलूचिस्तान की आजादी की यह घोषणा एक क्रांतिकारी कदम है, जो वहां के लोगों की दशकों पुरानी पीड़ा और संघर्ष का परिणाम है। अब देखना यह होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है और भारत इस अवसर का कैसे उपयोग करता है।