इंडिगो की एयरबस A350 डील: भारत के लिए रणनीतिक और तकनीकी प्रगति का बड़ा अवसर

भारत की अग्रणी एयरलाइन इंडिगो ने हाल ही में फ्रांसीसी विमान निर्माता एयरबस से 30 A350-900 वाइड-बॉडी विमानों की डिलीवरी के लिए एक ऐतिहासिक सौदा किया है। इस सौदे की अनुमानित लागत 10 से 12 बिलियन डॉलर के बीच बताई जा रही है। यह निर्णय इंडिगो की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के विस्तार और भारत के उड्डयन क्षेत्र में तेजी से हो रहे विकास का स्पष्ट संकेत है। खास बात यह है कि यह डील न केवल इंडिगो की व्यावसायिक उड़ानों को वैश्विक स्तर पर विस्तारित करेगी, बल्कि भारत को रणनीतिक और तकनीकी लाभों को साधने का भी बड़ा अवसर प्रदान करती है।



एयरबस A350 एक आधुनिक, ईंधन-कुशल और लंबी दूरी की उड़ानों के लिए डिजाइन किया गया विमान है जो पर्यावरण के अनुकूल टेक्नोलॉजी से लैस है। इंडिगो की योजना है कि इन विमानों के ज़रिए वह यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे अंतरराष्ट्रीय रूटों पर अपनी मौजूदगी को और मजबूत करे। इसके तहत पहली डिलीवरी 2027 से शुरू होने की संभावना है, जिससे भारत का एविएशन सेक्टर नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है।

लेकिन इस डील के पीछे केवल व्यावसायिक सोच नहीं है, बल्कि भारत के रणनीतिक हित भी इससे जुड़े हुए हैं। आज जब भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है, तो ऐसे में फ्रांस जैसी वैश्विक कंपनियों से समझौतों में केवल खरीदारी तक सीमित रहना व्यावहारिक नहीं होगा। भारत को अब ऐसी बड़ी डील्स के बदले में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और रणनीतिक सहयोग की भी शर्तें रखनी होंगी।

इस संदर्भ में फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी Safran का उल्लेख जरूरी है, जो फाइटर जेट इंजनों के क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग को लेकर चर्चा में है। अगर भारत इंडिगो की इस डील को रणनीतिक अवसर के रूप में उपयोग करता है, तो Safran जैसी कंपनियों से यह भी आग्रह कर सकता है कि वे भारत में फाइटर जेट इंजन के सह-निर्माण और 100% तकनीकी हस्तांतरण के लिए आगे आएं। इससे न केवल भारत की सैन्य क्षमताएं मजबूत होंगी, बल्कि 'मेक इन इंडिया' पहल को भी मजबूती मिलेगी।

भारत और फ्रांस के बीच 'शक्ति' नामक फाइटर जेट इंजन परियोजना पर भी गंभीर बातचीत जारी है। इस प्रोजेक्ट में उन्नत तकनीक, मेटलर्जी और डिजाइन विकास शामिल हैं, जो भारत के रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बना सकते हैं।

इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि इंडिगो और एयरबस के बीच हुआ यह सौदा सिर्फ एक एयरलाइन डील नहीं, बल्कि भारत के रणनीतिक, तकनीकी और आर्थिक हितों को मजबूत करने का सुनहरा अवसर है। अब भारत को वैश्विक डील्स में अपने राष्ट्रीय हितों के लिए मजबूती से बातचीत करनी होगी ताकि देश का विकास हर स्तर पर संतुलित और आत्मनिर्भर हो सके।