Iran Gets Major Military Aid from China: ट्रांसपोंडर बंद कर तेहरान पहुंचा चीनी कार्गो विमान

ईरान को लेकर एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खलबली मचा दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन का एक भारी कार्गो प्लेन चुपचाप ईरान की राजधानी तेहरान में लैंड करता देखा गया, लेकिन इस विमान ने अपने ट्रांसपोंडर को बंद रखा था, जिससे वह किसी भी एयर ट्रैफिक रडार की पकड़ में नहीं आ सका। इस घटना ने ईरान और चीन के बीच हो रहे गुप्त सैन्य सहयोग की ओर इशारा किया है और साथ ही यह सवाल भी खड़े कर दिए हैं कि क्या चीन ने ईरान को प्रतिबंधों के बावजूद हथियारों की आपूर्ति की है।

ट्रांसपोंडर बंद करके किसी विमान का उड़ना आम तौर पर सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चिंता का विषय होता है, क्योंकि इससे विमान की पहचान और उसकी लोकेशन का पता लगाना लगभग नामुमकिन हो जाता है। यही कारण है कि इस तरह की उड़ानें अक्सर गोपनीय सैन्य आपूर्ति, जासूसी या प्रतिबंधों को चकमा देने के लिए की जाती हैं। चीन से आया यह विमान भी इन्हीं उद्देश्यों में से किसी एक का हिस्सा हो सकता है।



ईरान पहले भी हथियारों की आपूर्ति को लेकर वैश्विक जांच के घेरे में रहा है। हाल के वर्षों में रूस के साथ उसके ड्रोन और मिसाइल सौदों की खबरें भी सामने आ चुकी हैं, जिनमें कहा गया कि ईरान ने रूस को सैकड़ों शॉर्ट रेंज मिसाइलें और ड्रोन सिस्टम उपलब्ध कराए थे। अब चीन के इस विमान की लैंडिंग इस संभावना को और मजबूती देती है कि ईरान अपने सैन्य स्टॉक को फिर से भरने के लिए सहयोगी देशों से गुप्त सहायता प्राप्त कर रहा है।

इस पूरी घटना ने अमेरिका और यूरोपीय देशों को भी चिंता में डाल दिया है। पश्चिमी देशों का मानना है कि इस तरह के गुप्त ट्रांजैक्शन क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा देते हैं और परमाणु समझौते जैसी वैश्विक कूटनीतिक पहलों को खतरे में डाल सकते हैं। चीन और ईरान के बीच बढ़ते संबंधों की यह घटना इस बात का भी संकेत देती है कि दोनों देश पश्चिमी दबाव के विरुद्ध एकजुट होकर रणनीतिक सहयोग को और मजबूत करने में लगे हुए हैं।

यह देखना दिलचस्प होगा कि इस घटनाक्रम के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या कार्रवाई होती है। क्या संयुक्त राष्ट्र इस विषय पर कोई जांच करेगा? या फिर यह भी बीते कई घटनाओं की तरह नजरअंदाज कर दिया जाएगा?

Iran-China arms nexus अब एक खुला रहस्य बनता जा रहा है, और अगर यह इसी तरह जारी रहा, तो आने वाले समय में यह पश्चिमी देशों के लिए एक नई चुनौती बन सकता है। ट्रांसपोंडर बंद कर उड़ाए जा रहे ये विमान सिर्फ तकनीकी घटनाएं नहीं हैं, बल्कि ये उस छिपे हुए युद्ध की झलक हैं जो कूटनीति के पर्दे के पीछे लड़ा जा रहा है।

क्या यह घटना वैश्विक सुरक्षा तंत्र के लिए खतरे की घंटी है या एक नई कूटनीतिक जंग की शुरुआत? इस विषय पर आपकी राय हमें जरूर बताएं।