India and Japan will together create smart islands: अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप के लिए बड़ी योजना शुरू

भारत और जापान के बीच समुद्री सहयोग के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल की गई है, जिसके अंतर्गत अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप द्वीप समूहों को "स्मार्ट आइलैंड्स" में तब्दील किया जाएगा। इस संयुक्त परियोजना के तहत दोनों देश हरित ऊर्जा, स्मार्ट मोबिलिटी और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से द्वीपों के सतत विकास को बढ़ावा देंगे। यह न केवल द्वीपवासियों के जीवन को बेहतर बनाएगा, बल्कि भारत के समुद्री क्षेत्र को भी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा।



भारत के पोत परिवहन मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और जापान के भूमि, अवसंरचना, परिवहन और पर्यटन मंत्रालय के उप मंत्री तेरादा योशिमिची के बीच हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में इस समझौते पर सहमति बनी। इसमें दोनों देशों ने पोर्ट डेवलपमेंट, शिपिंग तकनीक और इको-फ्रेंडली जलमार्ग परिवहन में सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘Act East Policy’ और जापान के ‘Free and Open Indo-Pacific’ दृष्टिकोण के अंतर्गत आता है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग और स्थायित्व को बढ़ावा देता है।

इस पहल के अंतर्गत, अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण द्वीपों में 100% नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से बिजली आपूर्ति की जाएगी। जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) ने अंडमान-निकोबार के लिए 133 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता प्रदान की है ताकि वहां सौर और पवन ऊर्जा पर आधारित ऊर्जा परियोजनाएं विकसित की जा सकें। इससे इन द्वीपों की ग्रिड स्वतंत्रता और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।

लक्षद्वीप के लिए, भारत की केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) ने एक डीकार्बोनाइजेशन प्लान तैयार किया है जिसमें इंटर-आइलैंड ग्रिड कनेक्टिविटी, मेनलैंड से ट्रांसमिशन कनेक्शन और बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) की स्थापना शामिल है। इससे द्वीपों में स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग बढ़ेगा और परंपरागत डीज़ल आधारित बिजली उत्पादन में कमी आएगी।

यह परियोजना सिर्फ पर्यावरणीय दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। भारत के लिए यह एक बड़ा अवसर है कि वह अपने दूरदराज के द्वीपों को स्मार्ट, आत्मनिर्भर और पर्यावरण के अनुकूल बनाए। जापानी निवेशकों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है कि वे भारत के समुद्री क्षेत्र में निवेश करें और आधुनिक टेक्नोलॉजी के माध्यम से एक मजबूत साझेदारी को आकार दें।

इस योजना से भारत-जापान संबंधों को नई ऊंचाई मिलेगी और हिंद महासागर क्षेत्र में स्थायित्व, सुरक्षा और सतत विकास की दिशा में एक मजबूत कदम साबित होगा। अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप अब सिर्फ द्वीप नहीं, बल्कि भविष्य के स्मार्ट समुद्री केंद्र बनेंगे।