जम्मू-कश्मीर के एक छोटे से गांव में रहने वाले सीआरपीएफ जवान मुनीर अहमद और पाकिस्तान की सियालकोट निवासी मीनल खान की प्रेम कहानी आज पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है। यह प्रेम कहानी उस वक्त सुर्खियों में आई जब मीनल खान को भारत सरकार की ओर से पाकिस्तान वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। हालांकि, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने इस फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है और मीनल खान को कोर्ट से राहत मिल गई है।
यह मामला सिर्फ एक अंतरराष्ट्रीय प्रेम विवाह की कहानी नहीं है, बल्कि यह कानूनी, राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। मीनल खान ने सीआरपीएफ जवान मुनीर अहमद से जुलाई 2024 में ऑनलाइन निकाह किया था। चूंकि वीजा संबंधी सीमाओं के कारण मुनीर पाकिस्तान नहीं जा सकते थे, इसलिए यह शादी वीडियो कॉल के माध्यम से सम्पन्न हुई। इसके लगभग नौ महीने बाद मार्च 2025 में मीनल खान भारत आईं, जब उन्हें भारत का 15 दिन का वीजा मिला।
मीनल जब भारत आईं तो उनका स्वागत जम्मू के भलवाल गांव में पूरे पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ हुआ। ससुराल वालों और गांववासियों ने भी इस अंतरराष्ट्रीय विवाह को खुले मन से स्वीकार किया। लेकिन देश की सुरक्षा एजेंसियों की नजर इस पर शुरू से ही बनी रही। मीनल की हर गतिविधि पर नजर रखी गई, क्योंकि उनका संबंध पाकिस्तान से था, और देश में पहले से ही भारत-पाक संबंधों को लेकर संवेदनशीलता बनी हुई है।
हाल ही में जब पहलगाम में आतंकवादी हमला हुआ, उसके बाद केंद्र सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए सभी पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने का निर्णय लिया। इसी के तहत मीनल खान को भी वापस पाकिस्तान भेजने की तैयारी की गई और वह अटारी-वाघा बॉर्डर तक पहुंच भी गई थीं। लेकिन इसी बीच मीनल ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी, जिसमें उन्होंने भारत में अपने पति के साथ रहने की इच्छा जाहिर की।
कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए यह कहा कि जब तक मामले की पूरी जांच नहीं हो जाती, तब तक मीनल को पाकिस्तान वापस नहीं भेजा जा सकता। कोर्ट के इस फैसले से मीनल खान को बड़ी राहत मिली और साथ ही इस मुद्दे पर पूरे देश का ध्यान भी गया। यह मामला अब न केवल मानवाधिकारों का विषय बन गया है, बल्कि इसमें भारत की घरेलू और विदेश नीति की परछाई भी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
इस प्रेम कहानी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि प्यार सीमाओं का मोहताज नहीं होता। लेकिन जब दो देशों के बीच राजनीतिक तनाव मौजूद हो, तब ऐसे रिश्ते कई कानूनी और सामाजिक चुनौतियों का सामना करते हैं। मीनल खान और मुनीर अहमद का यह रिश्ता अब एक कानूनी लड़ाई में बदल चुका है, जहां एक ओर एक पत्नी अपने पति के साथ रहने की जिद पर अड़ी है, वहीं दूसरी ओर सरकार सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए कानून का पालन कर रही है।
यह मामला भविष्य के लिए एक मिसाल बन सकता है, खासतौर पर उन लोगों के लिए जो अंतरराष्ट्रीय विवाह करते हैं और उन्हें कानूनी मान्यता दिलाने के लिए संघर्ष करते हैं। कोर्ट में अगली सुनवाई के बाद यह तय होगा कि मीनल खान को भारत में स्थायी रूप से रहने की इजाजत मिलेगी या उन्हें वापस पाकिस्तान जाना होगा।
इस पूरे प्रकरण से यह भी स्पष्ट होता है कि कानून और अदालतें किसी भी व्यक्ति के मानवीय अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं, चाहे वह किसी भी देश का नागरिक क्यों न हो। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मामले में क्या फैसला सुनाती है और सरकार की अगली रणनीति क्या होगी।