भारत की सैन्य शक्ति और आध्यात्मिक विरासत के दो प्रतीक जब एक ही संदर्भ में सामने आते हैं, तो वह चर्चा बेहद रोचक बन जाती है। ऐसा ही एक संगम है ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और पौराणिक ब्रह्मास्त्र के बीच। जहां ब्रह्मास्त्र भारतीय धार्मिक ग्रंथों में वर्णित एक दिव्य अस्त्र है, वहीं ब्रह्मोस भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की गई एक आधुनिक मिसाइल प्रणाली है, जो विश्व की सबसे तेज और सबसे सटीक क्रूज मिसाइलों में से एक मानी जाती है।
ब्रह्मास्त्र का उल्लेख महाभारत और रामायण जैसे पवित्र ग्रंथों में मिलता है। यह अस्त्र ब्रह्मा द्वारा प्रदत्त था और इसे केवल अत्यंत संकट की घड़ी में ही उपयोग में लाया जाता था। इसके प्रहार की क्षमता इतनी विनाशकारी थी कि इसे धरती पर अंतिम अस्त्र माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मास्त्र का प्रयोग संपूर्ण सेना को एक ही बार में नष्ट करने की ताकत रखता था। इसका प्रयोग लक्ष्मण, अर्जुन और अश्वत्थामा जैसे योद्धाओं द्वारा किया गया था।
वहीं दूसरी ओर, ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जो ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज यानी मैक 2.8 से 3.0 तक की रफ्तार से उड़ान भरती है। यह मिसाइल 290 किलोमीटर से बढ़ाकर अब 800 किलोमीटर से भी अधिक दूरी तक मार करने में सक्षम हो चुकी है। ब्रह्मोस का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी को मिलाकर रखा गया है, जो भारत-रूस की तकनीकी साझेदारी को दर्शाता है। इसकी दो चरणों वाली प्रणोदन प्रणाली में पहला चरण ठोस ईंधन बूस्टर है और दूसरा चरण रैमजेट इंजन का होता है, जो इसे उच्च गति बनाए रखने में मदद करता है।
ब्रह्मोस की एक खास विशेषता यह है कि इसे जमीन, समुद्र, वायु और पनडुब्बियों से दागा जा सकता है। यह इसे एक मल्टी-प्लेटफॉर्म मिसाइल बनाता है। साथ ही यह "फायर एंड फॉरगेट" प्रणाली पर कार्य करती है, जिससे एक बार लक्ष्य निर्धारित हो जाने के बाद उसे मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती। इसकी सटीकता लगभग 1 मीटर तक होती है, जो इसे अत्यंत प्रभावशाली बनाती है। ब्रह्मोस विभिन्न प्रकार के वारहेड्स को ढोने में सक्षम है, जिनका वजन 200 से 300 किलोग्राम तक हो सकता है।
ब्रह्मास्त्र और ब्रह्मोस दोनों ही अपने-अपने युग में महाशक्ति का प्रतीक रहे हैं। ब्रह्मास्त्र का उपयोग केवल अत्यंत आपात स्थिति में किया जाता था और इसका प्रभाव क्षेत्र अत्यंत विशाल होता था। ठीक उसी प्रकार, ब्रह्मोस का उद्देश्य भी शत्रु को अत्यंत सटीकता और तेज गति से जवाब देना है, ताकि युद्ध की स्थिति में निर्णायक बढ़त हासिल की जा सके।
ब्रह्मोस को आधुनिक युग का ब्रह्मास्त्र कहें तो गलत नहीं होगा। यह भारत की रक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है और देश की रणनीतिक क्षमता को वैश्विक स्तर पर मजबूती प्रदान करती है। इसकी तेज गति, सटीकता और बहुपरिमाणीय प्रहार क्षमता इसे दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइलों में शामिल करती है।
अंततः, ब्रह्मास्त्र और ब्रह्मोस दोनों ही शक्ति, प्रौद्योगिकी और रणनीतिक सोच के प्रतीक हैं। एक जहां हमारी पौराणिक परंपरा में आस्था का केंद्र है, वहीं दूसरा आधुनिक विज्ञान और रक्षा प्रौद्योगिकी की पराकाष्ठा को दर्शाता है। इन दोनों के माध्यम से भारत न केवल अपनी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखता है, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन में अपनी सशक्त भूमिका भी निभा रहा है।