हाल ही में केरल में सामने आई एक चौंकाने वाली घटना ने पूरे देश को हैरान कर दिया है। कोझिकोड जिले के निवासी मुजीब रहमान नामक व्यक्ति ने खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय का अधिकारी बताकर भारतीय नौसेना के कोच्चि मुख्यालय को फोन किया और देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत की सटीक लोकेशन और GPS कोऑर्डिनेट्स जानने की कोशिश की। यह मामला इसलिए भी गंभीर हो जाता है क्योंकि यह सीधे-सीधे देश की सामरिक सुरक्षा से जुड़ा है।
इस घटना में मुजीब रहमान ने नौसेना मुख्यालय के लैंडलाइन नंबर पर कॉल किया और खुद को ‘राघवन’ नामक अधिकारी बताते हुए INS विक्रांत की मौजूदा स्थिति जानने की कोशिश की। लेकिन नौसेना अधिकारियों को कॉल पर संदेह हुआ, क्योंकि प्रधानमंत्री कार्यालय से इस तरह की सूचना मांगने वाला कोई कॉल कभी नहीं आता। उन्होंने तत्काल इसकी सूचना कोच्चि हार्बर पुलिस को दी। पुलिस ने फोन लोकेशन को ट्रेस किया और मुजीब रहमान को कोझिकोड जिले के एलाथूर इलाके से गिरफ्तार कर लिया।
यह जानना महत्वपूर्ण है कि INS विक्रांत भारत की समुद्री शक्ति का प्रतीक है। इसे सितंबर 2022 में कोचीन शिपयार्ड में कमीशन किया गया था। यह 262 मीटर लंबा और 59 मीटर चौड़ा पोत है, जिसकी गति 30 नॉट्स तक जा सकती है। इसकी मारक क्षमता 1500 किलोमीटर तक है और यह भारतीय नौसेना की ताकत को एक नया आयाम देता है। ऐसे में इस पोत की सटीक लोकेशन जानने की कोशिश केवल एक मज़ाकिया हरकत नहीं मानी जा सकती, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बन सकती है।
मुजीब रहमान की गिरफ्तारी के बाद उसके परिवार ने दावा किया कि वह मानसिक रूप से अस्वस्थ है और 2021 से उसका इलाज चल रहा है। लेकिन जब जांच एजेंसियों ने उसकी सोशल मीडिया प्रोफाइल खंगाली तो सामने आया कि उसने ‘राघवन नंबूदरी’ नाम से फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट बना रखा था। सवाल यह है कि अगर वह मानसिक रूप से बीमार है तो वह इतनी समझदारी से हिंदू नाम से फर्जी आईडी क्यों बना रहा था? उसे कैसे पता चला कि प्रधानमंत्री कार्यालय का अधिकारी बनकर कॉल करने से काम बन सकता है? और उसे नौसेना मुख्यालय का नंबर कहां से मिला?
यह पहली बार नहीं है जब किसी आरोपी को गिरफ्तार होने के बाद मानसिक रूप से अस्वस्थ घोषित किया गया हो। इससे पहले IIT मुंबई से पढ़े आतंकी मुर्तजा ने गोरखनाथ मंदिर पर हमला किया था और उसके परिवार ने भी यही कहा कि वह मानसिक रूप से बीमार है। लेकिन हमला मस्जिद पर नहीं, मंदिर पर किया गया था। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति इतना रणनीतिक और सोच-समझकर काम कर सकता है?
मुजीब रहमान का यह कृत्य महज मानसिक बीमारी का नतीजा नहीं हो सकता। यह घटना या तो किसी आतंकी संगठन के स्लीपर सेल से जुड़ी हो सकती है या फिर किसी विदेशी खुफिया एजेंसी के इशारे पर की गई साजिश हो सकती है। केरल पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को इस दिशा में गहन जांच करनी चाहिए।
इस पूरे मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में सुरक्षा को लेकर कोई भी चूक बड़ी कीमत पर पड़ सकती है। नौसेना ने समय रहते सही कदम उठाया, जिससे एक संभावित खतरा टल गया, लेकिन इस तरह की घटनाएं बार-बार हो रही हैं और हर बार उन्हें मानसिक बीमारी का नाम देकर दबा दिया जाता है।
सवाल यह नहीं है कि मुजीब रहमान बीमार है या नहीं, सवाल यह है कि ऐसे संवेदनशील मामलों में हम कब तक मानसिक बीमारी को ढाल बनाकर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालते रहेंगे। यह समय है कि देश एक स्पष्ट नीति बनाए, जिससे इस तरह की घटनाओं की तह तक जाकर सच्चाई सामने लाई जा सके और दोषियों को सख्त सजा मिले।