👋 Join Us "फील्ड मार्शल बने जनरल असीम मुनीर: भारत के हमलों के बाद पाकिस्तान का बड़ा कदम"

"फील्ड मार्शल बने जनरल असीम मुनीर: भारत के हमलों के बाद पाकिस्तान का बड़ा कदम"

हाल ही में पाकिस्तान सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जनरल असीम मुनीर को देश के सर्वोच्च सैन्य पद "फील्ड मार्शल" के रूप में पदोन्नत कर दिया है। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच चुका है। भारत द्वारा किए गए सटीक और शक्तिशाली हमलों के जवाब में पाकिस्तान की यह घोषणा एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सैन्य संदेश के रूप में देखी जा रही है। यह पदोन्नति सिर्फ सैन्य संरचना का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान के भीतर और बाहर एक नई शक्ति संरचना के संकेत भी देती है।



भारत ने हाल ही में "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान के अंदर घुसकर 11 प्रमुख एयरबेस को निशाना बनाया। इन हमलों में नूर खान एयरबेस, रहिम यार खान, मुरिद, सियालकोट सहित कई प्रमुख पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को भारी नुकसान हुआ। ये हमले इतने सटीक और प्रभावशाली थे कि पाकिस्तान की वायुसेना की ऑपरेशनल क्षमता को भारी धक्का लगा। भारत की तरफ से इस्तेमाल किए गए ड्रोन और मिसाइल तकनीक ने पाकिस्तान के रक्षा ढांचे की पोल खोल दी।


इन हमलों की पुष्टि खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने की। उन्होंने मीडिया के सामने स्वीकार किया कि भारतीय मिसाइलों ने पाकिस्तान के कई एयरबेस को निशाना बनाया और स्थिति काफी गंभीर रही। प्रधानमंत्री ने बताया कि सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने उन्हें रात 2:30 बजे फोन कर इन हमलों की जानकारी दी। यह स्पष्ट करता है कि जब भारत की ओर से जवाबी कार्रवाई हो रही थी, उस वक्त पाकिस्तान की सैन्य और राजनीतिक व्यवस्था एक तरह से असहाय स्थिति में थी।


इसी दौरान मीडिया में यह खबर भी आई कि जनरल असीम मुनीर हमले के वक्त बंकर में छिपे हुए थे। यह बात विपक्ष और सोशल मीडिया में काफी चर्चा का विषय बनी रही। लेकिन इसके बावजूद, या कहें शायद इसी कारण, सरकार ने उन्हें "फील्ड मार्शल" की उपाधि देकर नई जिम्मेदारी सौंपी है। यह पद पाकिस्तान में बहुत ही दुर्लभ माना जाता है, और यह सम्मान अब तक केवल कुछ ही सैन्य अधिकारियों को मिला है।


जनरल असीम मुनीर की इस पदोन्नति को कई विशेषज्ञ पाकिस्तान सरकार की रणनीतिक मजबूरी के रूप में देख रहे हैं। भारत की ओर से किए गए हमलों ने पाकिस्तान की सैन्य प्रतिष्ठा को गहरा आघात पहुंचाया है और इसके जवाब में पाकिस्तान सरकार ने अपने ही सेना प्रमुख को प्रमोट कर एक तरह का आंतरिक संदेश देने की कोशिश की है कि वे अब भी नियंत्रण में हैं। यह फैसला सेना और सरकार के रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में भी एक कदम माना जा रहा है।


इस घटनाक्रम ने दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन और सैन्य नेतृत्व की दिशा में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। क्या यह पदोन्नति वास्तव में जनरल असीम मुनीर की काबिलियत का पुरस्कार है या फिर भारत के हमलों से उत्पन्न हुई शर्मिंदगी को छुपाने का प्रयास? यह सवाल समय के साथ स्पष्ट होगा। लेकिन इतना तय है कि यह फैसला पाकिस्तान की सैन्य और राजनीतिक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो आने वाले समय में क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।