भारत की रक्षा तकनीक ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और मील का पत्थर रखते हुए भारत ने स्वदेशी रूप से विकसित किया है एक ऐसा एंटी-स्टील्थ रडार सिस्टम, जो अमेरिका के F-22, F-35 और चीन के J-20, J-35 जैसे स्टील्थ फाइटर जेट्स को भी हवा में ही पहचान सकता है। इस रडार का नाम है — 'सूर्या'। यह सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि भारत की वैज्ञानिक प्रगति, रक्षा आत्मनिर्भरता और रणनीतिक समझ का परिचायक है।
'सूर्या' रडार प्रणाली को विकसित किया है भारत के प्रमुख निजी रक्षा कंपनी अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (ADTL) ने, जो अडाणी ग्रुप के अंतर्गत आती है। यह रडार सिस्टम भारत की पहली पूर्णतः स्वदेशी एंटी-स्टील्थ रडार प्रणाली है, जिसे मार्च 2025 में भारतीय वायुसेना को सौंपा गया। अभी तक एक यूनिट की डिलीवरी हो चुकी है, और छह यूनिट्स पर कार्य जारी है।
सूर्या रडार की आवश्यकता क्यों? वर्तमान वैश्विक सैन्य परिदृश्य में स्टील्थ तकनीक से युक्त फाइटर जेट्स किसी भी देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुके हैं। स्टील्थ फाइटर जेट्स को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि वे सामान्य रडार सिस्टम की पकड़ में नहीं आ पाते। यही वजह है कि इन विमानों को पहचानना और समय रहते खतरों को भांपना बेहद मुश्किल होता है। इसी चुनौती को देखते हुए भारत ने सूर्या जैसे एडवांस्ड एंटी-स्टील्थ रडार को विकसित किया है।
सूर्या की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह VHF (वेरी हाई फ्रीक्वेंसी) पर कार्य करता है। सामान्य रडार सिस्टम जहां हाई फ्रीक्वेंसी पर काम करते हैं, वहीं VHF रडार की तरंगें स्टील्थ विमानों के रडार-एब्जॉर्बिंग मटेरियल में छुप नहीं पातीं और वापिस लौटती हैं, जिससे इन विमानों की पहचान हो जाती है।
सूर्या की विशेषताएँ:
विशेषता | विवरण |
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प्रकार | VHF आधारित एंटी-स्टील्थ रडार |
रेंज | लगभग 360 किलोमीटर |
ऊँचाई कवरेज | 15 किलोमीटर तक |
उत्पादन | अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज (ADTL) |
यूनिट्स की संख्या | कुल 6 निर्माणाधीन, 1 डिलीवर |
शामिल वर्ष | मार्च 2025 |
ऑपरेशन | ऑपरेशन सिंदूर में उपयोग किया गया |
ऑपरेशन सिंदूर: सूर्या की पहली सफलता भारत द्वारा पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को टारगेट करने के लिए किए गए ऑपरेशन सिंदूर में सूर्या रडार प्रणाली की भूमिका बेहद अहम रही। इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना और अन्य रक्षा इकाइयों ने पाकिस्तान की एयर डिफेंस को पूरी तरह निष्क्रिय कर दिया और लक्ष्य पर सटीक प्रहार किए। इस ऑपरेशन में भारत ने स्वदेशी हथियार, ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम और सबसे अहम — सूर्या रडार का उपयोग किया। इसके परिणामस्वरूप भारत की ताकत और आत्मनिर्भरता का पूरा विश्व गवाह बना।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में इस ऑपरेशन की सराहना करते हुए कहा कि यह 'मेक इन इंडिया' हथियारों की ताकत और भारतीय वैज्ञानिकों की क्षमता का जीता-जागता प्रमाण है। उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया कि वे राष्ट्रनिर्माण में योगदान देने वाले स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दें।
रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐतिहासिक कदम भारत अब केवल रक्षा उपकरणों का उपभोक्ता नहीं रहा, बल्कि एक विश्वसनीय निर्माता और निर्यातक भी बन चुका है। सूर्या रडार न केवल रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को दर्शाता है, बल्कि यह रणनीतिक रूप से भी भारत को एक कदम आगे रखता है।
जहां चीन पाकिस्तान को स्टील्थ तकनीक से युक्त फाइटर जेट्स देने की योजना बना रहा है, वहीं भारत ने उसका जवाब पहले ही तैयार कर लिया है। अब चाहे दुश्मन कोई भी चाल चले, भारत के पास उसकी काट पहले से मौजूद है। यह रडार भविष्य में भारत की सीमाओं की सुरक्षा के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।
निजी क्षेत्र की भूमिका अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज जैसी कंपनियां यह सिद्ध कर रही हैं कि भारत का निजी क्षेत्र भी राष्ट्रनिर्माण में पीछे नहीं है। जहां कुछ लोग केवल आलोचना करने में व्यस्त रहते हैं, वहीं ऐसे उद्योगपति देश की रक्षा में अहम भूमिका निभा रहे हैं। यह वही आत्मनिर्भर भारत है, जिसका सपना देश ने वर्षों पहले देखा था और जो अब मूर्त रूप ले चुका है।
समापन: 'सूर्या' सिर्फ एक रडार नहीं, बल्कि एक प्रतीक है — आत्मनिर्भर भारत का, वैज्ञानिक क्षमता का, और आने वाली पीढ़ियों के सुरक्षित भविष्य का। जब दुश्मन भारत के खिलाफ योजना बनाता है, तब भारत पहले ही उसका जवाब तैयार कर लेता है। सूर्या रडार इस बात का प्रमाण है कि हम न केवल वर्तमान की चुनौतियों से निपटने में सक्षम हैं, बल्कि भविष्य की तैयारी भी पूरी तरह से कर चुके हैं। यह भारत की तीसरी आंख है, जो आसमान से आने वाले हर खतरे को समय रहते पहचान लेती है।
अब कोई भी दुश्मन आसमान में छुप नहीं सकता, क्योंकि भारत के पास है — 'सूर्या' जैसी तेज़ तीसरी आँख।