राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के अनूपगढ़ क्षेत्र में एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने देश की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। पाकिस्तान सीमा से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक नर्सरी में एक विदेशी ड्रोन सही-सलामत अवस्था में मिला है। प्रारंभिक जांच में यह पुष्टि हुई है कि यह ड्रोन तुर्की में बना हुआ है, जिसे पाकिस्तान की ओर से भारतीय सीमा में भेजा गया था। लेकिन सौभाग्यवश, इसकी बैटरी डिस्चार्ज हो गई और यह बिना विस्फोट के जमीन पर उतर गया।
इस ड्रोन की पहचान तुर्की की रक्षा तकनीकी कंपनी Asisguard द्वारा निर्मित "Songar" मॉडल के रूप में की गई है। यह ड्रोन अपने आप में बेहद आधुनिक और सैन्य उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें जीपीएस और ग्लोनास नेविगेशन सिस्टम, इन्फ्रारेड और डेलाइट कैमरे, और हथियार ले जाने की क्षमता मौजूद है। इसकी ऑपरेशनल रेंज लगभग 10 किलोमीटर बताई जा रही है और यह करीब 45 किलोग्राम तक वजन उठा सकता है। इसके साथ ही इसमें ऐसे फीचर भी हैं जो इसे सीमाओं पर खतरनाक बना सकते हैं।
भारत की खुफिया एजेंसियों और सेना की तत्परता की वजह से यह बड़ा खतरा टल गया। अगर ड्रोन की बैटरी डिस्चार्ज नहीं होती, तो यह विस्फोटक सामग्री लेकर देश के भीतर बड़ी क्षति पहुँचा सकता था। फिलहाल, ड्रोन को जब्त कर लिया गया है और उसकी फॉरेंसिक जांच चल रही है। इसकी तकनीक को गहराई से समझा जा रहा है ताकि रिवर्स इंजीनियरिंग के माध्यम से भारत अपनी ड्रोन तकनीक को और बेहतर बना सके। यह घटना भारत के लिए सिर्फ खतरा नहीं बल्कि एक मौका भी है, जिससे वह दुश्मनों की तकनीकी चालों को समझ सके और अपनी रणनीति और तकनीक को उसी स्तर पर विकसित कर सके।
यह पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान ने भारत में ड्रोन के माध्यम से घुसपैठ या आतंक फैलाने की कोशिश की है। पहले भी सीमावर्ती क्षेत्रों में हथियार और ड्रग्स गिराने के लिए पाकिस्तान ड्रोन का इस्तेमाल करता रहा है, लेकिन इस बार तुर्की जैसे देश की तकनीक का इस्तेमाल करना इस बात को दर्शाता है कि भारत के खिलाफ गहरे स्तर पर योजनाएं बनाई जा रही हैं।
ताज़ा घटना के बाद भारत सरकार और रक्षा मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। सुरक्षा एजेंसियों को सीमाओं पर अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही यह भी संकेत दिए गए हैं कि भारत को अपनी ड्रोन रक्षा प्रणाली और रडार तकनीक को और आधुनिक बनाना होगा। अब समय आ गया है कि भारत न केवल रक्षा उपकरणों का उपभोगकर्ता बने, बल्कि एक वैश्विक स्तर का निर्माता भी बने।
इस ताजा घटना से यह स्पष्ट होता है कि भारत की सीमाएं अब केवल पारंपरिक हथियारों से नहीं बल्कि अत्याधुनिक ड्रोन तकनीक से भी खतरे में हैं। इस चुनौती का सामना करने के लिए हमें आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा के तहत घरेलू रक्षा तकनीक को बढ़ावा देना होगा। अनूपगढ़ में मिला तुर्की ड्रोन हमें न सिर्फ सतर्क करता है, बल्कि यह अवसर भी देता है कि हम दुश्मनों की तकनीक को समझें, उसका विश्लेषण करें और अपनी सुरक्षा दीवारों को पहले से कहीं अधिक मजबूत बनाएं।