डिजिटल मीडिया और यूट्यूब की दुनिया में इन दिनों यूट्यूबर मोहक मंगल और समाचार एजेंसी ANI के बीच का विवाद सुर्खियों में बना हुआ है। यह मामला तब सामने आया जब ANI ने मोहक मंगल द्वारा अपने एक वीडियो में 9 सेकंड की क्लिप इस्तेमाल करने पर कॉपीराइट स्ट्राइक जारी की और इसके एवज में ₹45 लाख की बड़ी रकम की मांग की। इसके बाद ANI ने दिल्ली हाईकोर्ट में मानहानि का मुकदमा भी दायर कर दिया। इस पूरे विवाद ने इंटरनेट पर बहस छेड़ दी है कि आखिर कितना 'फेयर यूज' होता है, और क्या यह मामला छोटे क्रिएटर्स की आवाज दबाने की कोशिश है?
मोहक मंगल एक प्रसिद्ध यूट्यूबर हैं जो सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर रिसर्च-बेस्ड वीडियो बनाते हैं। उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल पर "ऑपरेशन सिंदूर" नामक एक वीडियो अपलोड किया, जिसमें ANI की 9 सेकंड की फुटेज शामिल थी। इसके लिए ANI ने दो कॉपीराइट स्ट्राइक्स जारी कीं और दावा किया कि यदि मोहक उनके साथ दो साल का लाइसेंस एग्रीमेंट नहीं करते, तो उनका चैनल खतरे में पड़ सकता है। ANI ने ₹45 लाख से ₹50 लाख के बीच की डील की पेशकश रखी। मोहक ने इसे 'डिजिटल ब्लैकमेल' कहा और इसे भारत में फेयर यूज के खिलाफ करार दिया।
मामला यहीं नहीं रुका। ANI ने मोहक मंगल पर मानहानि का केस दर्ज करते हुए कहा कि उन्होंने अपने वीडियो में ANI के लिए "हफ्ता वसूली", "गुंडा राज" जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया है, जो अपमानजनक हैं। ANI की ओर से अदालत में केस की पैरवी कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के बेटे, वरिष्ठ वकील अमित सिब्बल ने की। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि यूट्यूबर को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन भाषा मर्यादित होनी चाहिए। न्यायमूर्ति अमित बंसल ने कहा, “आप लाइसेंस नहीं लेना चाहते, लेकिन आप वीडियो क्लिप्स का उपयोग करेंगे और उसे 'हफ्ता वसूली' कहेंगे?” कोर्ट ने मोहक से आपत्तिजनक शब्दों वाले वीडियो को हटाने या उनमें सुधार करने का निर्देश दिया।
इस विवाद ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। मोहक मंगल के समर्थन में कई अन्य यूट्यूबर्स और डिजिटल पत्रकार सामने आए हैं। ध्रुव राठी, कुणाल कामरा और ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने ANI की इस कार्रवाई की आलोचना की है। उन्होंने इसे फ्री स्पीच और डिजिटल क्रिएटर्स के अधिकारों के खिलाफ बताया है। वहीं, ANI का कहना है कि उसने कॉपीराइट उल्लंघन और संस्था की छवि को नुकसान पहुंचाने की वजह से यह कदम उठाया है।
मोहक मंगल ने इस विषय को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखा है और आग्रह किया है कि भारत में फेयर यूज के तहत यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर छोटी क्लिप के उपयोग को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। यह मुद्दा अब सिर्फ एक यूट्यूबर बनाम एक मीडिया हाउस नहीं रह गया है, बल्कि यह एक बड़े डिजिटल नैरेटिव और कानूनी व्यवस्था का हिस्सा बन गया है।
इस पूरे विवाद ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है कि क्या बड़े मीडिया संस्थान डिजिटल स्वतंत्रता को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं? क्या 9 सेकंड की क्लिप के लिए ₹45 लाख की मांग न्यायसंगत है? क्या भारत में कॉपीराइट कानूनों में सुधार की जरूरत है ताकि छोटे क्रिएटर्स बिना भय के अपनी बात कह सकें? आने वाले समय में अदालत के निर्णय और सरकार की प्रतिक्रिया इस मुद्दे पर भारत की डिजिटल अभिव्यक्ति की दिशा तय करेंगे।
पूरा मामला और मोहक का वीडियो देखें:
👉 Mohak Mangal vs ANI Explained (YouTube)
यह मुद्दा जितना कानूनी है, उतना ही नैतिक भी। और इस पर बहस होना जरूरी है – क्योंकि लोकतंत्र में स्वतंत्र विचार और निष्पक्ष रिपोर्टिंग की जगह हमेशा बनी रहनी चाहिए।