राजस्थान के राजसमंद जिले का एक छोटा सा गांव शिशोदा, आज पूरे देश में चर्चा का केंद्र बन गया है। यह गांव इसलिए सुर्खियों में है क्योंकि यहां के एक पूर्व छात्र मेघराज धाकड़ ने अपने बचपन के सरकारी विद्यालय को संवारने के लिए 15 करोड़ रुपये का विशाल दान देकर पूरे स्कूल का कायाकल्प कर दिया है। यह सिर्फ एक स्कूल का नवनिर्माण नहीं, बल्कि शिक्षा के प्रति समर्पण और मातृभूमि के प्रति प्रेम का एक बेहतरीन उदाहरण है, जिसने देशभर में लाखों लोगों को प्रेरित किया है।
शिशोदा गांव का यह सरकारी स्कूल वर्षों पुराना है और पहले इसकी स्थिति बेहद खराब थी। जर्जर भवन, सीमित कमरे और आधारभूत सुविधाओं की भारी कमी के चलते बच्चों की शिक्षा में कई तरह की बाधाएं आती थीं। हालांकि, इस स्कूल ने अनेक छात्रों को जीवन में आगे बढ़ने का मार्ग दिखाया, उन्हीं में से एक थे मेघराज धाकड़, जो अब एक सफल व्यवसायी हैं और मुंबई में रहते हैं। लेकिन वे कभी अपनी जड़ों को नहीं भूले। जब उन्होंने कई वर्षों बाद अपने गांव का दौरा किया और अपने पुराने स्कूल की दुर्दशा देखी, तो उन्होंने इसे बदलने का दृढ़ निश्चय किया।
मेघराज धाकड़ ने इस स्कूल के लिए 15 करोड़ रुपये की राशि समर्पित की और अपने माता-पिता के नाम पर इस स्कूल का निर्माण कराया। अब यह स्कूल एक भव्य तीन मंजिला इमारत में बदल गया है, जिसमें 40 आधुनिक कमरे हैं। इन कमरों में स्मार्ट क्लासरूम, विज्ञान प्रयोगशालाएं, कंप्यूटर लैब, पुस्तकालय, प्रार्थना सभागार, मीटिंग हॉल, स्टाफ रूम, प्रधानाचार्य कक्ष और अन्य सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। पूरा स्कूल सीसीटीवी कैमरों से सुसज्जित है और सुरक्षा के सभी उपाय सुनिश्चित किए गए हैं। छात्रों के खेल विकास को ध्यान में रखते हुए वॉलीबॉल और बास्केटबॉल कोर्ट भी बनाए गए हैं।
10 मई 2025 को राजस्थान सरकार के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस आधुनिक स्कूल का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने इसे पीएम श्री योजना में शामिल करने की घोषणा भी की, जिससे इस स्कूल को और भी सरकारी सहयोग मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि शिशोदा गांव को शिक्षा के क्षेत्र में एक मॉडल हब के रूप में विकसित किया जाएगा। इस विद्यालय को देखकर यह विश्वास किया जा सकता है कि सरकारी स्कूल भी निजी संस्थानों से कहीं बेहतर हो सकते हैं, यदि उनमें सही सोच, योजना और समर्पण के साथ निवेश किया जाए।
मेघराज धाकड़ की यह पहल केवल एक विद्यालय तक सीमित नहीं है। उन्होंने यह भी घोषणा की है कि वे आने वाले समय में इसी परिसर में एक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और एक कॉलेज भी बनवाएंगे, जिससे गांव के युवाओं को उच्च शिक्षा और खेलों में भी समान अवसर मिल सकें। उनका कहना है कि यदि हर कोई अपनी मातृभूमि के लिए कुछ लौटाए, तो देश के हजारों गांवों की तस्वीर बदल सकती है।
इस स्कूल के निर्माण से न केवल गांव के बच्चों को बेहतरीन शिक्षा मिलेगी, बल्कि यह आसपास के क्षेत्रों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बनेगा। पहले जहां बच्चे मजबूरी में शहरों की ओर पढ़ाई के लिए जाते थे, अब उन्हें अपने ही गांव में वह सभी सुविधाएं मिलेंगी, जो एक अच्छे स्कूल में होनी चाहिए। यह पहल यह भी दिखाती है कि निजी दान और सामाजिक उत्तरदायित्व के जरिये सरकारी तंत्र को मजबूती दी जा सकती है।
शिशोदा गांव का यह स्कूल अब राजस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक उदाहरण है। यह दर्शाता है कि जब एक व्यक्ति अपने अतीत को याद रखता है और समाज को कुछ लौटाने का संकल्प करता है, तो वह क्या कुछ नहीं कर सकता। मेघराज धाकड़ की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि बदलाव की शुरुआत कहीं से भी हो सकती है, बस उसके लिए नीयत और निस्वार्थ भाव जरूरी है।
इस प्रेरणादायक पहल से देशभर में कई लोगों को सीख मिलेगी और यह उम्मीद की जा सकती है कि अन्य सफल लोग भी अपने गांव और समुदाय के लिए इसी तरह का योगदान देंगे। शिक्षा का क्षेत्र हमेशा से समाज की नींव रहा है, और जब इसमें ऐसे प्रयास होते हैं, तो उसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक पड़ता है। शिशोदा का यह विद्यालय आने वाले वर्षों में न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का केंद्र बनेगा, बल्कि यह साबित करेगा कि एक व्यक्ति की सोच और प्रयास से पूरी व्यवस्था बदली जा सकती है।
यह उदाहरण इस बात का जीवंत प्रमाण है कि सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए केवल सरकारी योजनाएं ही नहीं, बल्कि समाज के जागरूक और संवेदनशील लोगों का सहयोग भी जरूरी है। शिशोदा गांव का यह स्कूल आज एक नई सोच, नए सपनों और एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक बन गया है।