बेंगलुरु भगदड़ हादसा: उत्सव में उमड़ा जनसैलाब बना मौत का मंजर, मुख्यमंत्री ने आयोजकों को ठहराया जिम्मेदार

4 जून 2025 को बेंगलुरु स्थित एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुआ एक भयावह हादसा पूरे देश को झकझोर गया। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की ऐतिहासिक आईपीएल जीत का जश्न मनाने के लिए हजारों की भीड़ स्टेडियम के बाहर उमड़ी थी, लेकिन यह खुशी का माहौल अचानक चीख-पुकार और भगदड़ में तब्दील हो गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हादसे में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई और 47 से अधिक घायल हुए हैं।

हादसे के बाद राज्य सरकार और आयोजन समिति के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस दर्दनाक घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए सीधे तौर पर कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA) को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि आयोजकों को इतनी बड़ी भीड़ की आशंका नहीं थी और इसी कारण भीड़ नियंत्रण के पर्याप्त इंतज़ाम नहीं किए गए। मुख्यमंत्री ने कहा, "जब दो से तीन लाख लोग एक जगह इकट्ठा हो जाएं, तो आयोजकों की जिम्मेदारी बनती है कि वह सुरक्षित प्रबंध सुनिश्चित करें।"



इस हादसे को लेकर एक बड़ी विडंबना यह रही कि आयोजकों ने हजारों की संख्या में फ्री पास बांट दिए थे, जिससे स्टेडियम के बाहर सामान्य से कई गुना अधिक भीड़ उमड़ पड़ी। जैसे ही दरवाजे बंद किए गए, हजारों लोगों ने जबरन प्रवेश करने की कोशिश की और देखते ही देखते भगदड़ की स्थिति बन गई। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन भीड़ के उग्र हो जाने के कारण हालात बिगड़ते चले गए।

मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिवारों को ₹10 लाख की अनुग्रह राशि देने और सभी घायलों के मुफ्त इलाज का ऐलान किया है। हालांकि, इस हादसे ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि देश में बड़े आयोजनों को लेकर आपदा प्रबंधन और भीड़ नियंत्रण की व्यवस्था अब भी बेहद कमजोर है।

यह पहला मौका नहीं है जब किसी बड़े आयोजन में सुरक्षा चूक के चलते ऐसी त्रासदी घटी हो। इससे पहले भी भारत के विभिन्न राज्यों में धार्मिक, सांस्कृतिक या खेल आयोजनों के दौरान भगदड़ में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। बेंगलुरु की घटना ने आयोजकों और सरकार दोनों के लिए एक चेतावनी का काम किया है कि अब समय आ गया है जब भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता दी जाए।

यह हादसा इस बात की भी याद दिलाता है कि जश्न मनाने का अधिकार सभी को है, लेकिन सुरक्षा को नजरअंदाज करना किसी के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। सरकार और संबंधित एजेंसियों को अब मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और हर नागरिक बिना डर के किसी आयोजन में भाग ले सके।