झारखंड भारत का एक ऐसा राज्य है जिसे कुदरत ने खनिज संपदा से भरपूर बनाया है। कोयला, लोहा, बॉक्साइट, यूरेनियम, तांबा, सोना जैसे कई महत्वपूर्ण खनिज यहां प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। लेकिन सवाल यह है कि जब झारखंड इतना समृद्ध है, तो फिर यहां की जनता गरीब क्यों है? इसका सीधा और स्पष्ट उत्तर है – सरकार नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली और संगठित ‘गिरोह-राज’ का संचालन। यहां विकास की जगह डर और दबाव की राजनीति चलती है। संसाधन हैं, लेकिन उन पर माफिया, भ्रष्ट अधिकारियों और राजनीतिक ताकतों का कब्जा है।
झारखंड की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि प्राकृतिक संपदाओं का दोहन तो हो रहा है, लेकिन उनका लाभ राज्य के आम नागरिकों को नहीं मिल रहा है। यहां की जमीन से निकले कोयले और लोहे से देश की बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां चलती हैं, लेकिन उन्हीं इलाकों में बसे आदिवासी और ग्रामीण लोग आज भी बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। इसका कारण यह है कि यहां विकास की नीतियां नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी की रणनीतियां बनती हैं। सरकारी योजनाएं फाइलों में सीमित रह जाती हैं और उनका लाभ वहीं पहुंचता है जहां से रिश्वत और राजनीतिक संबंध मजबूत होते हैं।
झारखंड में हाल के वर्षों में हुए घोटालों ने इस गिरोह-सिस्टम की पोल खोलकर रख दी है। सरकारी विभागों में करोड़ों रुपये के घोटाले सामने आ चुके हैं। अफसरों की मिलीभगत से योजनाओं की राशि बंदरबांट होती है। ग्रामीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और खनन जैसे प्रमुख विभागों में गड़बड़ियों की खबरें आम हैं। ईडी की जांच में कई नेता और अधिकारी आरोपी साबित हुए हैं, और जनता को इससे सिर्फ मायूसी और ठगी मिली है।
झारखंड में डर और दबाव का माहौल बनाकर शासन करना इस गिरोह-संस्कृति की असली पहचान है। जो लोग सवाल उठाते हैं, उन्हें दबा दिया जाता है या अलग-थलग कर दिया जाता है। मीडिया तक पर दबाव बनाया जाता है कि वे सच्चाई को उजागर न करें। इस माहौल में आम आदमी खुद को असहाय महसूस करता है, और यही डर राज्य को आगे बढ़ने से रोकता है।
दुखद यह है कि झारखंड की जनता ने बार-बार नई सरकारों को मौका दिया, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ वादे और घोषणाएं ही मिलीं। राज्य में बदलाव तभी संभव है जब गिरोह-तंत्र को जड़ से उखाड़कर पारदर्शिता और जवाबदेही को शासन का हिस्सा बनाया जाए। जनता को अपनी ताकत पहचाननी होगी और लोकतंत्र के जरिए इस व्यवस्था को बदलना होगा।
झारखंड की गरीबी का कारण संसाधनों की कमी नहीं, बल्कि संसाधनों पर गलत लोगों का कब्जा है। जब तक यह कब्जा खत्म नहीं होता, तब तक इस राज्य का सच्चा विकास सपना ही बना रहेगा। यह समय है जब जनता को जागरूक होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठानी होगी, ताकि झारखंड अपनी असली ताकत को पहचान सके और देश के सबसे समृद्ध राज्यों की सूची में शामिल हो सके।