भारत में घटी चरम गरीबी: वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में 2022-23 में केवल 5.3% – मोदी सरकार की ऐतिहासिक उपलब्धि

भारत ने गरीबी उन्मूलन की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। वर्ल्ड बैंक द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022-23 में भारत में चरम गरीबी (Extreme Poverty) घटकर मात्र 5.3% रह गई है, जो वर्ष 2011-12 में 27.1% थी। यह न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक आश्चर्यजनक सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन है। इस दौरान लगभग 269 मिलियन यानी 26.9 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं, जो कि दुनिया के सबसे बड़े गरीबी उन्मूलन अभियानों में से एक है।

वर्ल्ड बैंक की इस रिपोर्ट में भारत की ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की प्रगति को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है। वर्ष 2011-12 में जहां ग्रामीण गरीबी दर 25.7% थी, वहीं यह घटकर 2022-23 में केवल 7.2% रह गई है। इसी तरह शहरी क्षेत्रों में गरीबी दर 13.7% से घटकर 4.6% हो गई है। यह आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि भारत ने समावेशी विकास की दिशा में उल्लेखनीय कदम बढ़ाए हैं और सामाजिक योजनाओं का प्रभाव जमीनी स्तर तक पहुंचा है।



इस बड़ी उपलब्धि के पीछे केंद्र सरकार की कई योजनाओं और आर्थिक नीतियों की भूमिका अहम रही है, जिसे अक्सर "Modinomics" कहा जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले एक दशक में कई ऐसी योजनाएं चलाई गई हैं, जिन्होंने गरीबों के जीवन में सुधार लाने का काम किया है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, जो कि कोविड-19 काल में शुरू की गई थी, ने करोड़ों गरीब परिवारों को मुफ्त राशन देकर भुखमरी से बचाया। इसके अलावा उज्ज्वला योजना, जन धन योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत अभियान और डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों ने न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक सशक्तिकरण में भी अहम योगदान दिया।

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत में रोजगार वृद्धि दर कार्यशील आबादी की वृद्धि दर से अधिक रही है, जिससे आम लोगों की आय में वृद्धि हुई है और गरीबी रेखा से ऊपर उठने की प्रक्रिया को बल मिला है। यह दर्शाता है कि देश में आर्थिक विकास सिर्फ आंकड़ों में ही नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर भी दिखाई दे रहा है।

हालांकि, यह उपलब्धि जितनी बड़ी है, उतनी ही जिम्मेदारी भी बढ़ाती है। भारत को अब गरीबी की परिभाषा के बदलते वैश्विक मानकों के अनुरूप अपनी नीतियों को और अधिक मजबूत बनाना होगा। वर्ल्ड बैंक ने हाल ही में अत्यधिक गरीबी की सीमा को $2.15 से बढ़ाकर $3.00 प्रति दिन कर दिया है। इस नए मापदंड के अनुसार, भारत की वास्तविक गरीबी दर थोड़ा अधिक हो सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि भारत की प्रगति कम महत्वपूर्ण हो जाती है।

यह उपलब्धि यह दिखाती है कि यदि नीति निर्माण मजबूत हो, कार्यान्वयन पारदर्शी हो और नेतृत्व दूरदर्शी हो, तो दुनिया की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक – गरीबी – को भी हराया जा सकता है। भारत का यह मॉडल अब विकासशील देशों के लिए प्रेरणा बनता जा रहा है।

भारत की यह सामाजिक-आर्थिक क्रांति दर्शाती है कि Modinomics सिर्फ एक राजनीतिक नारा नहीं बल्कि एक प्रभावशाली आर्थिक दृष्टिकोण है, जिसने करोड़ों लोगों का जीवन बदला है। यदि यही दिशा और रफ्तार बनी रही, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत पूर्ण रूप से गरीबी मुक्त राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर हो जाएगा। यह सिर्फ एक सरकारी उपलब्धि नहीं, बल्कि एक राष्ट्र की सामूहिक चेतना और प्रयासों का परिणाम है – एक ऐसा परिवर्तन जो इतिहास में दर्ज किया जाएगा।