ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसने पूरे देश का ध्यान खींचा है। राज्य के ग्रामीण विकास विभाग में कार्यरत चीफ इंजीनियर बैकुंठ नाथ सरंगी के खिलाफ जब विजिलेंस विभाग ने एक साथ सात ठिकानों पर छापेमारी की, तब उन्होंने अपने फ्लैट की खिड़की से ₹500 की नोटों की गड्डियां बाहर फेंक दीं। यह घटना न केवल भ्रष्टाचार की गहराई को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि किस तरह सरकारी पदों पर बैठे अधिकारी जनता की गाढ़ी कमाई को लूटने में लगे हुए हैं।
यह मामला शनिवार को उस समय सामने आया जब ओडिशा विजिलेंस विभाग ने बैकुंठ नाथ सरंगी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में एक व्यापक छापेमारी अभियान शुरू किया। छापेमारी के दौरान जब अधिकारी सरंगी के डुमडुमा स्थित फ्लैट में पहुंचे, तो उन्होंने घबराहट में खिड़की से नोटों की गड्डियां फेंकनी शुरू कर दीं। इन नोटों की गड्डियां पड़ोसी की छत पर गिरीं, जिन्हें अधिकारियों ने बाद में बरामद किया। इस दृश्य का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें नोटों की बारिश होती दिख रही है और लोग हैरान हैं कि एक सरकारी अधिकारी के पास इतनी नकदी कहां से आई।
विजिलेंस विभाग द्वारा की गई छापेमारी में कुल ₹2.51 करोड़ नकद बरामद किए गए हैं, जो कि अलग-अलग ठिकानों से मिले हैं। इसके अलावा जांच में यह भी सामने आया है कि सरंगी ने शेयर बाजार में ₹2.7 करोड़ का निवेश कर रखा है, जबकि बीमा और बैंक खातों में ₹1.5 करोड़ से अधिक की राशि जमा है। इतना ही नहीं, उनके और उनके परिजनों के नाम पर दो बहुमंजिला इमारतें, दो फ्लैट्स, सात प्लॉट्स और करीब 1 किलोग्राम सोने के गहने भी पाए गए हैं। अधिकारियों के अनुसार, सरंगी की कुल अघोषित संपत्ति ₹13 करोड़ से अधिक आंकी गई है।
यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बैकुंठ नाथ सरंगी फरवरी 2025 में ही चीफ इंजीनियर के पद पर पदोन्नत हुए थे और वह कुछ ही दिनों में सेवानिवृत्त होने वाले थे। सेवानिवृत्ति से ठीक एक दिन पहले हुई इस छापेमारी ने उनके पूरे करियर पर काला धब्बा लगा दिया है। उन्होंने वर्ष 1991 में ओडिशा सरकार की सेवा में प्रवेश किया था और तीन दशक से अधिक समय तक विभिन्न विभागों में कार्यरत रहे। इतने वर्षों की सेवा के बाद जब वे अपने जीवन की नई पारी शुरू करने की तैयारी में थे, तब इस छापे ने उन्हें भ्रष्टाचार के सबसे बड़े आरोपियों में शामिल कर दिया।
यह घटना भारतीय नौकरशाही व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार की भयावह स्थिति को उजागर करती है। जब एक इंजीनियर स्तर का अधिकारी ₹13 करोड़ की अवैध संपत्ति रख सकता है, तो यह सोचना भी डरावना है कि शीर्ष स्तर के अधिकारी किन हदों तक भ्रष्टाचार में लिप्त हो सकते हैं। यही वजह है कि आम जनता का सरकारी तंत्र पर से भरोसा लगातार कम होता जा रहा है। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि भविष्य में किसी भी अधिकारी को भ्रष्टाचार करने की हिम्मत न हो।
ओडिशा सरकार और विजिलेंस विभाग की इस कार्रवाई की व्यापक सराहना की जा रही है। यह कदम न केवल भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त संदेश देता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि यदि ईमानदारी और इच्छाशक्ति हो, तो किसी भी भ्रष्टाचार को बेनकाब किया जा सकता है। उम्मीद की जा रही है कि बैकुंठ नाथ सरंगी के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया तेज़ी से चलेगी और उन्हें उनके अपराध की सज़ा अवश्य मिलेगी।
इस घटना ने यह भी दिखा दिया कि टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया के इस दौर में कोई भी भ्रष्टाचार अब छुपा नहीं रह सकता। वीडियो के वायरल होने से आम लोगों में जागरूकता बढ़ी है और वे इस प्रकार की घटनाओं के खिलाफ आवाज़ उठाने लगे हैं। अब यह ज़रूरी हो गया है कि ऐसे भ्रष्टाचारियों की पूरी संपत्ति जब्त की जाए और इसे जनता के विकास कार्यों में लगाया जाए, ताकि एक सकारात्मक उदाहरण स्थापित हो सके।
अंत में, यह घटना सिर्फ एक खबर नहीं है, बल्कि यह एक चेतावनी है – उन सभी के लिए जो सरकारी सेवा में रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। यह समय है, जब ईमानदारी को व्यवस्था का आधार बनाया जाए और भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किया जाए।