भारत के सैन्य इतिहास में 30 मई 2025 का दिन स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गया, जब राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA), पुणे से पहली बार महिला कैडेट्स का एक बैच पास हुआ। कुल 17 महिला कैडेट्स ने तीन वर्षों के कठोर प्रशिक्षण और अकादमिक पढ़ाई के बाद एनडीए से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और अब वे भारतीय थलसेना, वायुसेना और नौसेना में अधिकारी बनने जा रही हैं। यह मील का पत्थर महिलाओं की सैन्य भागीदारी की दिशा में एक क्रांतिकारी बदलाव का प्रतीक है।
साल 2021 में सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए महिलाओं को एनडीए में शामिल होने की अनुमति दी थी। इसके बाद 2022 में पहली बार महिलाओं को एनडीए में प्रवेश मिला और 2025 में वे अब पूरे प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा कर देशसेवा के लिए तैयार हैं। यह उपलब्धि सिर्फ इन महिला कैडेट्स की नहीं, बल्कि पूरे भारत की है जो एक समावेशी और समान समाज की दिशा में अग्रसर है।
एनडीए की पासिंग आउट परेड हमेशा से भारतीय सैन्य परंपरा की गरिमा को दर्शाती है, लेकिन इस बार यह परेड और भी खास रही। पहली बार महिला कैडेट्स ने पुरुष कैडेट्स के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मार्च किया, जिससे यह साबित हुआ कि अब देश की बेटियां भी हर मोर्चे पर देश के लिए तैयार हैं। मणिपुर के राज्यपाल और भारतीय थलसेना के पूर्व प्रमुख जनरल वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने इस ऐतिहासिक परेड की समीक्षा की और महिला कैडेट्स के आत्मबल और परिश्रम की प्रशंसा की।
इस बैच की कैडेट रितुल दुहन को पहली महिला बटालियन कैडेट कैप्टन बनने का गौरव प्राप्त हुआ। यह उनके नेतृत्व कौशल और साहसिक दृष्टिकोण का प्रतीक है। उन्होंने यह साबित किया कि अनुशासन, मेहनत और समर्पण से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।
महिला कैडेट्स की यह सफलता आने वाले समय में अनगिनत लड़कियों को प्रेरणा देगी। यह उन परिवारों के लिए भी संदेश है जो अभी तक बेटियों को सैन्य सेवाओं से दूर रखते थे। अब यह स्पष्ट हो चुका है कि भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना में महिलाएं भी पूरी मजबूती के साथ अपना योगदान दे सकती हैं।
एनडीए में शामिल होकर इन कैडेट्स ने जिस संकल्प, साहस और कड़ी मेहनत का प्रदर्शन किया, वह देश की 'नारी शक्ति' का प्रतीक बन चुका है। यह उपलब्धि सिर्फ एक व्यक्तिगत विजय नहीं, बल्कि समाज के उस विचार का भी परिणाम है जो अब महिलाओं को समान अवसर देने के लिए तैयार है।
इस ऐतिहासिक अवसर पर पूरे देश ने इन 17 महिला कैडेट्स की सफलता का स्वागत किया और सोशल मीडिया पर भी #WomenInNDA और #NariShakti जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। यह दिखाता है कि समाज अब इस बदलाव को खुले दिल से स्वीकार कर रहा है।
आज जब ये कैडेट्स अपनी-अपनी सेवाओं में योगदान देने जा रही हैं, तब यह उम्मीद की जाती है कि वे न केवल सैन्य क्षेत्र में अपना परचम लहराएंगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बनेंगी। एनडीए से महिला कैडेट्स का यह पहला बैच भारतीय सैन्य इतिहास में एक नए युग की शुरुआत है, जो आने वाले वर्षों में और भी मजबूती से आगे बढ़ेगा।