विरसाविया बोरुन: एक अद्भुत बच्ची जिसकी दिल की धड़कन छाती के बाहर सुनाई देती है

विरसाविया बोरुन का नाम सुनते ही इंसान को एक असाधारण जीवन की झलक मिलती है। यह बच्ची एक अत्यंत दुर्लभ और खतरनाक जन्मजात बीमारी "पेंटालॉजी ऑफ कैंट्रेल" (Pentalogy of Cantrell) से पीड़ित है, जिसके कारण उसका दिल उसकी छाती के बाहर स्थित है। यह बीमारी इतनी दुर्लभ है कि विश्व स्तर पर कुछ ही मामलों में देखने को मिलती है। विरसाविया की इस स्थिति में उसका हृदय केवल एक पतली त्वचा की परत से ढका हुआ है, और हड्डियों से सुरक्षित नहीं है, जैसा कि आम इंसानों में होता है। इसके बावजूद इस बच्ची ने जिंदगी से हार नहीं मानी और अपने साहस व जज़्बे से पूरी दुनिया को प्रेरित किया है।



विरसाविया का जन्म रूस में हुआ था और जब उसकी मां डारी बोरुन को यह पता चला कि उनकी बेटी का दिल छाती के बाहर है, तो उन्होंने हार मानने की बजाय एक नई उम्मीद के साथ अमेरिका की ओर रुख किया, जहां उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मिल सकें। डॉक्टरों का कहना था कि विरसाविया शायद जन्म के कुछ समय बाद ही जीवित नहीं रह पाएगी, लेकिन विरसाविया ने इस भविष्यवाणी को गलत साबित करते हुए सबको हैरान कर दिया।



यह बीमारी शरीर की संरचना को गंभीर रूप से प्रभावित करती है। इसमें छाती, डायाफ्राम, और पेट की दीवारों में गहरे विकार होते हैं, जिससे शरीर के अंग सामान्य रूप से विकसित नहीं हो पाते। विरसाविया का दिल उसके शरीर के बाहर विकसित हुआ और केवल त्वचा की एक पतली परत से ढका हुआ है। ऐसी स्थिति में किसी भी छोटी सी चोट या संक्रमण से जान का खतरा बना रहता है, लेकिन विरसाविया अपने पूरे बचपन में एक सामान्य बच्ची की तरह जीवन जीने की कोशिश करती रही है।

वह गाना पसंद करती है, नृत्य करना उसे अच्छा लगता है और वह सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहती है। हालांकि उसकी शारीरिक क्षमता सीमित है, लेकिन उसका आत्मबल और जीवटता उसे दूसरों से अलग बनाती है। विरसाविया कहती हैं कि वह दौड़ या अन्य शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले सकतीं क्योंकि वह जल्दी थक जाती हैं। यहां तक कि जूतों के फीते बांधना भी उन्हें थका देता है, लेकिन फिर भी वह मुस्कुराती रहती हैं।

इस बच्ची की मां डारी बोरुन का कहना है कि विरसाविया का जीवित रहना किसी चमत्कार से कम नहीं है। लेकिन विरसाविया कहती हैं कि यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि उनकी मां के प्रेम और आस्था का परिणाम है। उनका मानना है कि उनकी मां ने उन पर विश्वास बनाए रखा और वही उनकी ताकत बनी रही।

आज विरसाविया बोरुन एक जीती-जागती मिसाल हैं। उनकी कहानी न सिर्फ मेडिकल साइंस के लिए एक चौंकाने वाला उदाहरण है, बल्कि इंसानी हिम्मत, आत्मविश्वास और मातृत्व की ताकत को भी दर्शाती है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि शारीरिक चुनौतियाँ इंसान की आत्मा को नहीं हरा सकतीं, अगर मन में जीने की जिद हो और साथ हो अपनों का प्यार।

विरसाविया की जीवन गाथा हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है जो किसी न किसी कठिनाई से जूझ रहा है। उनका नाम अब न केवल चिकित्सा जगत में जाना जाता है, बल्कि वे एक साहसी दिल की प्रतीक बन गई हैं, जो नाजुक होते हुए भी मजबूत धड़कता है। भारत में भी ऐसे मामलों में अब तकनीक और चिकित्सा विज्ञान का उपयोग कर जीवन को बचाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है, और विरसाविया की कहानी इस दिशा में आशा की एक नई किरण है।