रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अब एक और खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। इस सप्ताह की शुरुआत में एक ऐसा दावा सामने आया जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर कथित रूप से यूक्रेन की ओर से ड्रोन हमला किया गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, पुतिन उस वक्त रूस के कुस्क क्षेत्र में एक आधिकारिक दौरे पर थे, जब यह हमला हुआ। दावा करने वाले एक रूसी सैन्य कमांडर यूरी दश्किन ने बताया कि पुतिन का हेलीकॉप्टर इस हमले के "एपिसेंटर" यानी केंद्र में था, लेकिन रूसी एयर डिफेंस सिस्टम की तत्परता ने इस हमले को नाकाम कर दिया और राष्ट्रपति सुरक्षित बच निकले।
यह घटना रूस के कुस्क ओब्लास्ट क्षेत्र में घटित हुई, जो हाल ही में यूक्रेन के नियंत्रण से वापस रूसी सेना के अधीन आया है। यूरी दश्किन का कहना है कि राष्ट्रपति के हेलीकॉप्टर की सुरक्षा में लगे एयर डिफेंस बलों ने एक साथ कई ड्रोन का सामना किया और उन्हें हवा में ही मार गिराया। हालांकि, इस हमले को लेकर अभी तक क्रेमलिन की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन स्थानीय रूसी मीडिया और कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में इस घटना का उल्लेख किया गया है।
इस कथित हमले के बाद रूस ने यूक्रेन के खिलाफ एक बड़े स्तर का जवाबी हमला शुरू किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस ने यूक्रेन के कई शहरों पर अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन और मिसाइल हमला किया। इसमें कुल 367 ड्रोन और मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया। इस हमले में अब तक कम से कम 12 लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों घायल हुए हैं। यह जवाबी कार्रवाई इस बात को दर्शाती है कि रूस इसे एक गंभीर खतरे के रूप में देख रहा है, खासकर तब जब इसका निशाना देश के राष्ट्रपति को बनाया गया हो।
इस घटना से रूस-यूक्रेन युद्ध की जटिलता और गहराई को समझा जा सकता है। जहां एक ओर यह युद्ध अब सीमाओं और मोर्चों से आगे बढ़कर राजनीतिक नेतृत्व तक पहुंच चुका है, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या अब दोनों देशों के बीच किसी प्रकार की शांति वार्ता संभव है। कुछ सप्ताह पहले दोनों देशों के बीच 1000 से अधिक युद्धबंदियों की अदला-बदली हुई थी, जिससे उम्मीद की किरण जगी थी कि शायद कोई शांतिपूर्ण समाधान निकल सके। लेकिन अब पुतिन पर हुए इस कथित हमले के बाद हालात फिर से तनावपूर्ण हो गए हैं।
इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि यूक्रेन और रूस दोनों ही अब एक नए प्रकार की युद्ध नीति अपना रहे हैं, जिसमें तकनीक, ड्रोन, और सायबर रणनीति प्रमुख भूमिका निभा रही है। राष्ट्रपति जैसे हाई-प्रोफाइल टारगेट पर हमला यह दर्शाता है कि युद्ध अब केवल सैन्य मोर्चे तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह रणनीतिक नेतृत्व को निशाना बना रहा है।
हालांकि अभी इस हमले की पुष्टि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा नहीं की गई है, लेकिन यदि यह दावा सत्य है तो यह न केवल रूस-यूक्रेन युद्ध को और अधिक खतरनाक बना सकता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के लिए भी गंभीर चुनौती प्रस्तुत करता है। यह जरूरी है कि वैश्विक शक्तियां इस संघर्ष को रोकने के लिए ठोस प्रयास करें, अन्यथा यह युद्ध केवल दो देशों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा।
अंततः, पुतिन के हेलीकॉप्टर पर हुआ यह कथित ड्रोन हमला यह स्पष्ट संकेत देता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध अब निर्णायक और संवेदनशील दौर में प्रवेश कर चुका है। क्या अब युद्ध की आग बुझाने का समय आ गया है या यह और भी विकराल रूप लेने वाला है – इसका जवाब आने वाले कुछ दिनों में दुनिया के सामने होगा।