हर पते को मिलेगी डिजिटल पहचान: मोदी सरकार का नया मास्टरस्ट्रोक

भारत डिजिटल परिवर्तन के रास्ते पर लगातार आगे बढ़ रहा है। आधार और यूपीआई जैसी सफल पहलों के बाद अब मोदी सरकार एक और बड़ी योजना लेकर आई है – देश के हर पते को एक यूनिक Digital Address ID देने की योजना। इस पहल का उद्देश्य है कि हर घर, दुकान, ऑफिस और अन्य स्थानों को एक डिजिटल पहचान दी जाए, जिससे न केवल पहचान प्रणाली को मज़बूती मिलेगी, बल्कि सेवाओं की डिलीवरी भी तेज और सटीक हो सकेगी।

डिजिटल इंडिया मिशन के अंतर्गत यह नई योजना भारत को दुनिया की अग्रणी डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। आधार कार्ड ने व्यक्ति की डिजिटल पहचान सुनिश्चित की, यूपीआई ने पेमेंट सिस्टम को डिजिटल और तेज़ बनाया, और अब डिजिटल एड्रेस आईडी के जरिए स्थानों की पहचान को आसान और वैज्ञानिक बनाया जाएगा।



सरकार की इस योजना का उद्देश्य यह है कि हर भौगोलिक स्थान को एक स्थायी डिजिटल कोड दिया जाए, जिससे उस स्थान को तुरंत पहचाना जा सके। चाहे वह शहरी क्षेत्र में कोई फ्लैट हो, ग्रामीण इलाके का कोई घर या किसी खेत का कोना – हर स्थान को यूनिक डिजिटल एड्रेस आईडी से जोड़ा जाएगा। इससे डिलीवरी सेवाओं, आपातकालीन सेवाओं, सरकारी योजनाओं और निजी कंपनियों को सही स्थान पर पहुंचने में आसानी होगी।

एक अनुमान के अनुसार, भारत में खराब एड्रेसिंग सिस्टम के कारण हर साल लगभग 10 से 14 अरब डॉलर का नुकसान होता है। यह नुकसान ई-कॉमर्स डिलीवरी, लॉजिस्टिक्स, पोस्टल सर्विस और सरकारी योजनाओं के वितरण में देरी के रूप में सामने आता है। डिजिटल एड्रेस आईडी इस समस्या का स्थायी समाधान प्रस्तुत कर सकती है।

सरकार की योजना के अनुसार, यह डिजिटल पता प्रणाली लोगों की सहमति के आधार पर विकसित की जाएगी और एक मोबाइल ऐप या वेब पोर्टल के माध्यम से पते को जिओ-टैग कर यूनिक कोड जनरेट किया जाएगा। यह कोड सरकारी डेटाबेस में सुरक्षित रहेगा और जरूरत पड़ने पर ही उपयोग में लाया जाएगा।

निति आयोग के सीईओ ने यह भी कहा है कि आने वाले 2.5 वर्षों में भारत जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। ऐसे में यह नई योजना भारत की तेज़ विकास दर को और मजबूती देगी। देश की GDP Q4 FY2024-25 में 7.4% की दर से बढ़ी है और भारत ने एक बार फिर से दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का टैग कायम रखा है। इस विकास में डिजिटल अवसंरचना की भूमिका महत्वपूर्ण है।

डिजिटल एड्रेस आईडी न केवल आर्थिक गतिविधियों को गति देगी, बल्कि यह लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में पारदर्शिता भी लाएगी। आपातकालीन स्थितियों में जैसे कि एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड या पुलिस सेवा को भी सटीक स्थान तक पहुंचने में आसानी होगी। इसके अलावा सरकारी योजनाओं का लाभ भी बिना देरी के वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंच सकेगा।

यह कदम भारत को वैश्विक डिजिटल मंच पर और मज़बूती से स्थापित करेगा। जैसे आधार ने पहचान को डिजिटल बनाया, यूपीआई ने भुगतान को डिजिटल किया, उसी प्रकार डिजिटल एड्रेस आईडी भारत में स्थान आधारित सेवाओं को नई ऊंचाई देगा। यह न केवल भारत के नागरिकों के लिए सहूलियत का कार्य करेगा, बल्कि डिजिटल इंडिया के सपने को और भी साकार बनाएगा।

इस प्रकार, भारत का हर पता अब केवल एक नक्शे पर बिंदु नहीं रहेगा, बल्कि उसकी एक मजबूत डिजिटल पहचान होगी, जो नई सदी के भारत की पहचान बनेगी।

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