उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में गुरुवार रात एक भीषण हादसा सामने आया जब एक मेंथा ऑयल फैक्ट्री में आग लग गई। यह आग तेज आंधी के चलते फैक्ट्री की चिमनी गिरने के कारण लगी, जिसने पूरे इलाके में अफरा-तफरी मचा दी। घटना इतनी गंभीर थी कि फैक्ट्री में रखे नाइट्रोजन सिलेंडर एक-एक करके फटने लगे, जिससे धमाकों की आवाजें दूर-दूर तक सुनाई दीं। यह हादसा रात में हुआ जब अधिकांश लोग सो रहे थे, जिससे अचानक हुए विस्फोटों ने पूरे क्षेत्र को दहशत में डाल दिया।
आग लगने की सूचना मिलते ही प्रशासन और दमकल विभाग हरकत में आ गया। मौके पर पहुंची 50 से अधिक दमकल गाड़ियों ने आग बुझाने के लिए प्रयास शुरू किए। हालांकि, मेंथा फैक्ट्री में रखे ज्वलनशील पदार्थों और नाइट्रोजन सिलेंडरों के कारण आग पर काबू पाना बेहद कठिन हो गया। दमकल कर्मी पिछले 12 घंटे से लगातार आग बुझाने में जुटे हुए हैं, लेकिन अभी तक पूरी तरह से नियंत्रण नहीं हो पाया है।
इस हादसे से आसपास के कई रिहायशी इलाकों पर भी प्रभाव पड़ा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, आग की चपेट में 100 से अधिक घर आ गए हैं। लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने के लिए मजबूर होना पड़ा, कई परिवार बेघर हो गए हैं और राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं। प्रशासन ने तुरंत राहत कार्य शुरू कर दिया है और प्रभावित लोगों को आवश्यक सहायता पहुंचाई जा रही है। कई इलाकों में बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित हुई है, जिसे बहाल करने के प्रयास जारी हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि घटना के समय जोरदार आंधी चल रही थी, जिससे फैक्ट्री की चिमनी अचानक ढह गई। चिमनी गिरते ही उसमें आग लग गई, जिसने तेजी से पूरी फैक्ट्री को चपेट में ले लिया। फैक्ट्री में ज्वलनशील केमिकल और सिलेंडरों की उपस्थिति ने आग को और भयावह बना दिया। धमाकों की आवाजें इतनी तेज थीं कि लोग डर के मारे अपने घर छोड़कर खेतों और खुले स्थानों की ओर भाग गए।
बदायूं जिला प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए राहत एवं बचाव कार्यों को प्राथमिकता दी है। एसडीआरएफ, पुलिस और स्थानीय प्रशासन की टीमें लगातार मौके पर डटी हुई हैं। वहीं, जिलाधिकारी और वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद रहकर राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। सुरक्षा के दृष्टिकोण से प्रभावित क्षेत्र को सील कर दिया गया है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है।
यह हादसा एक बार फिर से औद्योगिक सुरक्षा मानकों की पोल खोलता है। फैक्ट्रियों में सुरक्षा उपकरणों और उपायों की कमी, साथ ही आपदा प्रबंधन की लचर व्यवस्था ऐसे हादसों को और भी घातक बना देती है। जरूरत है कि सरकार और उद्योग जगत इस दिशा में ठोस कदम उठाएं ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।
बदायूं की इस घटना ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है। सरकार और प्रशासन की सक्रियता से स्थिति को संभालने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इस त्रासदी की चोट को भरने में समय लगेगा। प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और सहायता के लिए प्रदेश सरकार द्वारा विशेष राहत पैकेज की घोषणा की उम्मीद की जा रही है। वहीं, फैक्ट्री संचालक पर लापरवाही का मामला दर्ज करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। यह घटना न केवल एक औद्योगिक दुर्घटना है, बल्कि समाज और शासन को एक चेतावनी भी है कि सुरक्षा और तैयारी के बिना किसी भी विकास का कोई मूल्य नहीं।