कर्नाटक के हावेरी जिले के हंगल तालुका में हुए एक गैंगरेप मामले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। यह मामला जनवरी 2024 में सामने आया था, जब सात आरोपियों पर एक मुस्लिम महिला और उसके हिंदू प्रेमी पर हमला करने और महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगा। लेकिन इस केस को लेकर हाल ही में एक और चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया है। इन सभी सात आरोपियों को बेल मिलने के बाद जिस तरह से उनका 'विजय जुलूस' निकाला गया, उसने समाज और कानून व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पीड़िता और उसके साथी पर जनवरी में हमला किया गया था जब वे दोनों एक होटल में रुके हुए थे। आरोप है कि सातों युवक होटल के कमरे में घुस आए, दोनों के साथ मारपीट की और महिला को जबरन उठा कर जंगल में ले गए, जहां उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। इसके बाद महिला के साथी को भी जान से मारने की कोशिश की गई थी।
इस गंभीर अपराध के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था। जिनके नाम हैं – अफताब मक़बूल अहमद चंदनकट्टी, मदरासाब मोहम्मद इसाक मंडक्की, सैमिउल्लाह लालनावर, मोहम्मद सादिक अगसीमानी, शोएब नियाज़ अहमद मुल्ला, तौसीफ चौटी और रियाज़ सावीकेरी। इन सभी पर सामूहिक दुष्कर्म, अपहरण और हत्या की कोशिश जैसे गंभीर आरोप लगे थे।
हालांकि, बेल मिलने के बाद इन सातों आरोपियों ने जिस तरह से रिहाई का जश्न मनाया, उसने पीड़िता और समाज दोनों की भावनाओं को झकझोर कर रख दिया। बेल पर छूटने के बाद इन सभी आरोपियों का कारों और बाइकों के काफिले के साथ स्वागत किया गया। तेज़ म्यूज़िक, पटाखों और 'विजय चिन्ह' दिखाते हुए इनका स्वागत किया गया। यहां तक कि इस 'जश्न' के दौरान रील्स भी बनाई गईं और सोशल मीडिया पर पोस्ट की गईं।
इस प्रकार की हरकत ने न केवल पीड़िता की पीड़ा को और बढ़ा दिया, बल्कि यह सवाल भी उठाया कि क्या समाज और कानून व्यवस्था ऐसे अपराधों को गंभीरता से ले रही है या नहीं। बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के आरोपी जब बेल पर छूटने के बाद नायक की तरह स्वागत पाते हैं, तो यह व्यवस्था की विफलता और समाज की संवेदनहीनता को दर्शाता है।
पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि इन सात में से कुछ आरोपी पहले भी 'मॉरल पुलिसिंग' के मामलों में शामिल रहे हैं। वे एक अन्य मुस्लिम लड़की को धमका चुके थे और उसकी फोटो वायरल करने की धमकी दी थी। यह स्पष्ट करता है कि इनकी मानसिकता पहले से ही कट्टरपंथी और हिंसक रही है।
इस घटना के बाद कर्नाटक और देशभर में आक्रोश फैल गया है। महिला अधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोपियों के बेल पर छूटने और उसके बाद उनके जश्न की कड़ी निंदा की है। उन्होंने मांग की है कि न्यायिक प्रक्रिया को और सख्त किया जाए और ऐसे मामलों में बेल देने से पहले गंभीर विचार किया जाए।
यह मामला केवल एक गैंगरेप का नहीं, बल्कि न्याय, संवेदनशीलता और सामाजिक जिम्मेदारी का भी है। जब आरोपी बेल मिलने के बाद समाज में नायक बनकर घूमते हैं, तो पीड़िता को न्याय मिलने की उम्मीद टूट जाती है। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि न्यायपालिका, प्रशासन और समाज मिलकर ऐसी घटनाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाएं और यह संदेश दें कि बलात्कारियों के लिए समाज में कोई जगह नहीं है।