भारत का वैश्विक कूटनीतिक मिशन: ऑपरेशन सिंदूर के जरिये पाकिस्तान की साजिश का अंतरराष्ट्रीय पर्दाफाश

भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाते हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' की पृष्ठभूमि में एक व्यापक वैश्विक कूटनीतिक अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान का उद्देश्य भारत में आतंकवादी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार पाकिस्तान की भूमिका को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उजागर करना और दुनिया को भारत की सख्त कार्रवाई से अवगत कराना है। इस कूटनीतिक प्रयास के तहत विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों को दुनिया के प्रमुख देशों में भेजा जा रहा है ताकि वे 'ऑपरेशन सिंदूर' के संदर्भ में भारत की स्थिति और सुरक्षा नीति को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत कर सकें।



इस पहल की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने की है, जिसके तहत आठ अलग-अलग प्रतिनिधिमंडल विश्व के महत्वपूर्ण देशों जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, रूस और यूरोपीय संघ के सदस्य देशों की यात्रा करेंगे। इन प्रतिनिधिमंडलों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, एनसीपी की सुप्रिया सुले, डीएमके की कनिमोझी और भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद जैसे जनप्रतिनिधि शामिल हैं। प्रत्येक टीम में पांच सांसदों के साथ विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे, जो इन दौरों को औपचारिक राजनयिक समर्थन प्रदान करेंगे।

भारत का यह कदम अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की दिशा में एक ऐतिहासिक प्रयास है। 'ऑपरेशन सिंदूर' को भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति में निर्णायक मोड़ माना जा रहा है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद की कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब आतंकवाद को केवल सीमा पार समस्या मानकर नहीं छोड़ रहा, बल्कि उसकी जड़ तक पहुंचने की ठान चुका है। इस ऑपरेशन के जरिये भारत ने न सिर्फ आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त किया बल्कि पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश भी दिया कि अब हर साजिश का मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।

शशि थरूर ने सरकार की इस पहल की तारीफ करते हुए कहा कि यह कदम पाकिस्तान की गहरी राज्य (Deep State) को एक सीधा जवाब है। उन्होंने कहा कि भारत को अब सिर्फ घरेलू राजनीति तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि विश्व मंचों पर जाकर पाकिस्तान के झूठ और आतंक के चेहरे को बेनकाब करना चाहिए। वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस योजना का समर्थन करते हुए कहा कि पाकिस्तान की आतंकी संरचना को पूरी तरह समाप्त करना भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी है।

भारत का यह कूटनीतिक प्रयास सिर्फ एक राजनीतिक रणनीति नहीं, बल्कि एक व्यापक राष्ट्रीय नीति का हिस्सा है जिसमें विपक्ष और सत्ताधारी दल दोनों एकजुट होकर देशहित में कार्य कर रहे हैं। यह विश्व समुदाय को यह भी दिखाता है कि भारत की आतंकी मुद्दों पर एक समान और दृढ़ नीति है जो सिर्फ सैन्य कार्रवाई पर निर्भर नहीं करती, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को साथ लेकर चलने में विश्वास रखती है।

इस कूटनीतिक दौरे से यह भी उम्मीद की जा रही है कि भारत दुनिया के देशों को पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे झूठ और फर्जी नैरेटिव के खिलाफ जागरूक कर सकेगा। अब तक पाकिस्तान अक्सर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करता आया है, लेकिन भारत अब सक्रिय होकर अपने पक्ष को प्रभावशाली ढंग से सामने रखने को तैयार है।

प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति का यह पहलू पहले भी कई मौकों पर सफल रहा है, जब उन्होंने व्यक्तिगत कूटनीति से भारत की वैश्विक छवि को न केवल मजबूत किया, बल्कि कई देशों का विश्वास भी हासिल किया। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह वैश्विक दौरा भारत की विदेश नीति को और भी गतिशील और सशक्त बनाने की दिशा में एक नया अध्याय है।

कुल मिलाकर, भारत का यह निर्णय न केवल उसकी सुरक्षा नीति की परिपक्वता को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि अब भारत आतंकवाद को सिर्फ एक आंतरिक चुनौती नहीं मानता, बल्कि उसे वैश्विक मुद्दा मानते हुए अंतरराष्ट्रीय सहयोग से समाप्त करने की दिशा में ठोस पहल कर रहा है। आने वाले समय में यह कूटनीतिक प्रयास न केवल पाकिस्तान के चेहरे को बेनकाब करेगा, बल्कि भारत को वैश्विक मंचों पर एक निर्णायक और जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में भी मददगार साबित होगा।