भारत, चीन और रूस को आपस में लड़ाना चाहते हैं पश्चिमी देश – रूस का बड़ा दावा

पिछले कुछ वर्षों में विश्व राजनीति में तेजी से बदलाव आया है। अब रूस ने एक चौंकाने वाला दावा किया है जो भारत सहित पूरे एशिया के लिए गंभीर संकेत देता है। रूस ने पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका पर आरोप लगाया है कि वे एक बड़े भू-राजनीतिक षड्यंत्र के तहत भारत, चीन और रूस को आपस में लड़वाना चाहते हैं। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हाल ही में इस पर बयान देते हुए कहा कि पश्चिमी ताकतें एशिया में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रही हैं, ताकि वे अपने आर्थिक और सामरिक हितों को साध सकें।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और चीन के बीच सीमा पर लंबे समय से तनाव बना हुआ है। दोनों देशों के बीच डोकलाम, गलवान घाटी और अरुणाचल प्रदेश जैसे इलाकों में सैन्य गतिरोध देखे गए हैं। वहीं रूस, जो पारंपरिक रूप से भारत का मित्र देश माना जाता है, अब खुलकर कह रहा है कि पश्चिमी देश भारत और चीन को टकराव की ओर धकेलना चाहते हैं ताकि एशिया में शांति भंग हो और अमेरिका को इसका फायदा मिल सके।



रूस का यह बयान केवल भारत और चीन के रिश्तों को लेकर नहीं है, बल्कि यह पश्चिमी देशों की नीति और रणनीति पर भी सवाल उठाता है। रूस के अनुसार अमेरिका और नाटो देश यह समझते हैं कि अगर भारत, चीन और रूस जैसे शक्तिशाली देश आपस में मिलकर सहयोग करें तो विश्व में शक्ति संतुलन पश्चिम के पक्ष में नहीं रहेगा। इसी कारण पश्चिमी देश भारत और चीन के बीच दरार पैदा कर रहे हैं और मीडिया, सैन्य गठजोड़, और कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से तनाव को हवा दे रहे हैं।

भारत के लिए यह स्थिति बेहद जटिल है। एक तरफ वह रूस के साथ दशकों पुराने रक्षा और रणनीतिक साझेदारी को बनाए रखना चाहता है, दूसरी ओर चीन के साथ सीमा विवादों के चलते उसका भरोसा लगातार टूटता जा रहा है। वहीं पश्चिमी देश, खासकर अमेरिका, भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में भारत को बहुत ही संतुलन और सूझबूझ के साथ अपनी विदेश नीति को आगे बढ़ाना होगा।

रूस की यह चेतावनी भारत के लिए एक संकेत हो सकती है कि वैश्विक राजनीति में किसी एक खेमे पर पूरी तरह निर्भर रहना अब खतरनाक हो सकता है। भारत को बहुध्रुवीय दुनिया में अपनी भूमिका को समझते हुए हर देश के साथ संबंधों को विवेकपूर्ण ढंग से संभालना होगा। उसे यह भी देखना होगा कि कौन-सा देश वास्तविक रूप से उसका सहयोगी है और कौन केवल अपने हित साधने के लिए दोस्ती का दिखावा कर रहा है।

इस पूरी स्थिति में चीन की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। चीन अक्सर भारत के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाता है और पाकिस्तान के साथ उसकी बढ़ती नजदीकियां भारत के लिए खतरे की घंटी है। ऐसे में भारत को केवल रूस की बातों पर निर्भर न रहकर अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर रणनीतिक निर्णय लेने होंगे।

रूस द्वारा दिया गया यह बयान विश्व राजनीति में एक नए विमर्श की शुरुआत कर सकता है, जहां भारत, चीन और रूस जैसे बड़े देश पश्चिमी षड्यंत्रों को नाकाम करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं, बशर्ते आपसी विश्वास और संवाद को प्राथमिकता दी जाए। भारत को इस पूरे घटनाक्रम को गंभीरता से लेते हुए एक संतुलित और दूरदर्शी विदेश नीति अपनानी होगी, जो न केवल उसके सामरिक हितों की रक्षा करे, बल्कि एशिया में स्थिरता और शांति की दिशा में भी सहायक हो।