कश्मीर मुद्दे पर भारत का सख्त रुख: अब केवल PoK ही बचा है

भारत ने किया साफ – कश्मीर पर तीसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं

भारत ने एक बार फिर कश्मीर को लेकर अपना रुख दोहराया है कि यह देश का आंतरिक मामला है और इस पर किसी तीसरे देश की मध्यस्थता को वह स्वीकार नहीं करेगा। यह बयान ऐसे समय पर आया है जब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे को बार-बार उठाया जा रहा है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर पर सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच ही सीमित बातचीत संभव है, और वह भी केवल DGMO स्तर पर, जहां सैन्य कार्रवाई और संघर्षविराम उल्लंघनों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होती है।

अब सिर्फ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) बचा है



भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद यह स्पष्ट संदेश दिया था कि अब भारत के लिए केवल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) ही शेष है। भारत की संसद में पहले ही प्रस्ताव पारित किया जा चुका है कि PoK भारत का अभिन्न हिस्सा है और एक दिन उसे वापस लाया जाएगा। इसी क्रम में सरकार ने अपने रुख को और स्पष्ट करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अविभाज्य हिस्सा है, और इसमें किसी प्रकार की बाहरी दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए।

DGMO स्तर पर ही होगी बातचीत

भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर जब भी तनाव बढ़ता है या संघर्षविराम का उल्लंघन होता है, तो दोनों देशों के DGMO (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) आपस में बातचीत करते हैं। भारत ने कहा है कि यही मंच एकमात्र संवाद का जरिया है और इसमें किसी तीसरे पक्ष को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। यह बात पाकिस्तान को भी कई बार स्पष्ट रूप से बता दी गई है।

अमेरिका की मध्यस्थता की पेशकश को भारत ने ठुकराया

कुछ समय पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी। हालांकि भारत ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। भारत का कहना है कि यह एक द्विपक्षीय मामला है और किसी भी तीसरे देश को इसमें शामिल होने की आवश्यकता नहीं है। भारत ने अमेरिका को यह भी स्पष्ट किया कि वह अपने संविधान और संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा।

पाकिस्तान का दोहरा रवैया

वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाता रहा है। संयुक्त राष्ट्र, OIC और अमेरिका जैसे देशों से वह बार-बार मांग करता है कि वे भारत पर दबाव डालें। लेकिन भारत के सख्त रुख के चलते पाकिस्तान को बार-बार निराशा हाथ लगी है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान को पहले अपने कब्जे वाले कश्मीर (PoK) और गिलगित-बाल्टिस्तान में हो रहे मानवाधिकार हनन पर ध्यान देना चाहिए।

भारत का स्पष्ट संदेश – कोई तीसरा पक्ष नहीं

भारत सरकार ने सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर साफ कर दिया है कि वह कश्मीर पर किसी भी प्रकार की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता। यह भारत की संप्रभुता का मुद्दा है और इसमें सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच ही सीमित, औपचारिक और रणनीतिक संवाद संभव है। यह संवाद भी केवल संघर्षविराम और सुरक्षा मुद्दों तक सीमित रहेगा।

निष्कर्ष: भारत का रुख अडिग और स्पष्ट

भारत ने बार-बार यह साबित किया है कि वह कश्मीर को लेकर किसी भी प्रकार के दबाव में आने वाला नहीं है। भारत की नीति स्पष्ट है – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा हैं और इस पर किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं हो सकती। अब भारत की निगाहें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) पर हैं, जिसे वह जल्द या भविष्य में अपने साथ मिलाने की नीति पर आगे बढ़ रहा है।

यदि पाकिस्तान को शांति चाहिए तो उसे आतंकवाद और सीमा पार घुसपैठ को रोकना होगा। अन्यथा भारत की ओर से किसी भी प्रकार की वार्ता या सहयोग की कोई संभावना नहीं है। भारत का रुख साफ है: अब कोई समझौता नहीं, केवल समाधान – और वह समाधान है संपूर्ण जम्मू-कश्मीर को भारत में शामिल करना।