जिउतियन SS-UAV: चीन का पहला हैवी मिलिट्री ड्रोन जो आधी दुनिया को बना सकता है निशाना

चीन ने हाल ही में अपने पहले स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैवी क्लास ड्रोन "जिउतियन SS-UAV" का प्रदर्शन किया है, जो जून 2025 में अपनी पहली उड़ान भरने के लिए तैयार है। यह हवाई जहाज न सिर्फ चीन की तकनीकी प्रगति का प्रतीक है बल्कि वैश्विक सामरिक संतुलन को भी चुनौती दे सकता है। इसकी डिज़ाइन, रेंज, पेलोड और मल्टी-रोल क्षमताओं के कारण यह दुनिया के सबसे शक्तिशाली ड्रोन में से एक माना जा रहा है। चीन द्वारा यह कदम सीधे तौर पर अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के सामने शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है।



जिउतियन SS-UAV की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह 15,000 मीटर की ऊंचाई पर उड़ सकता है और अपने साथ 100 से अधिक छोटे ड्रोन या 1,000 किलोग्राम तक की मिसाइलें ले जाने में सक्षम है। इससे चीन को अपने ही देश की सीमा से दुश्मन देशों के भीतर हजारों किलोमीटर दूर तक निशाना साधने की सामर्थ्य प्राप्त होती है। यह ड्रोन करीब 7,000 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है, जिससे यह चीन को आधी दुनिया तक सैन्य पहुंच देने वाला हवाई हथियार बन जाता है।

इस ड्रोन को चीन की सरकारी कंपनी AVIC (एविएशन इंडस्ट्री कॉर्पोरेशन ऑफ चाइना) द्वारा विकसित किया गया है। इसकी विशेषताएं अमेरिका के ग्लोबल हॉक और MQ-9 रीपर ड्रोन जैसी शक्तिशाली प्रणालियों को टक्कर देने में सक्षम हैं। 'जिउतियन' शब्द का अर्थ है 'नौवां आसमान', जो इसके ऊंचे उड़ान स्तर और ताकतवर संभावनाओं का संकेत देता है। इसे आधुनिक युद्ध के लिए उपयुक्त बनाते हुए इसमें हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम एनक्रिप्टेड कम्युनिकेशन का उपयोग किया गया है।

इसकी क्षमताओं को आंकड़ों के जरिए समझें तो यह ड्रोन कितना ताकतवर है, इसका अंदाजा आपको नीचे दी गई तालिका से लग सकता है:

विशेषता विवरण
अधिकतम उड़ान ऊंचाई 15,000 मीटर (50,000 फीट)
उड़ान रेंज 7,000 किलोमीटर
अधिकतम गति 700 किमी प्रति घंटा
अधिकतम पेलोड 6 टन (1,000 किलोग्राम तक मिसाइल या 100 छोटे ड्रोन)
उड़ान अवधि 12-36 घंटे (मिशन के अनुसार)
विंगस्पैन लगभग 25 मीटर
टेकऑफ वजन 16 टन
इंजन हाई थ्रस्ट टर्बोफैन
कम्युनिकेशन क्वांटम एन्क्रिप्टेड, AI आधारित स्वार्म कंट्रोल
मिशन रोल निगरानी, हमला, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, ड्रोन स्वार्म

जिउतियन SS-UAV का सबसे विशेष पहलू है इसका 'हनीकॉम्ब मिशन बे', जो इसे एक साथ दर्जनों छोटे ड्रोन तैनात करने में सक्षम बनाता है। इस प्रणाली की मदद से यह स्वार्म तकनीक का उपयोग करके दुश्मन की रडार प्रणाली को भ्रमित कर सकता है, या सामूहिक हमले को अंजाम दे सकता है। इसके साथ ही यह एक बार में कई लक्ष्य साधने में भी सक्षम है, जिससे यह एक मल्टी-रोल स्ट्राइक ड्रोन बन जाता है।

इसके डिजाइन को थर्मल सिग्नेचर कम करने के लिए तैयार किया गया है, जिससे यह दुश्मन की रडार से बच निकलने में अधिक सक्षम है। इसका एयरफ्रेम स्टील्थ विशेषताओं से लैस है, और इसकी टेल यूनिट में कोई ट्रेडिशनल वर्टिकल फिन नहीं है, जिससे यह अधिक एडवांस्ड और कम दृश्यमान बनता है।

इसकी लंबी रेंज और भारी पेलोड इसे चीन की रणनीतिक क्षमताओं में एक बड़ा विस्तार बनाते हैं। चीन अब अपनी सीमा से बाहर कदम रखे बिना ही दुश्मन के ठिकानों को लक्ष्य बना सकता है। यही वजह है कि अमेरिका, भारत, जापान और दक्षिण चीन सागर से लगे अन्य देशों में इस UAV को लेकर चिंता का माहौल है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह ड्रोन आने वाले वर्षों में चीन की सैन्य नीति का एक मुख्य हिस्सा बनने वाला है।

जिउतियन SS-UAV की पहली परीक्षण उड़ान जून 2025 में होने जा रही है। अगर यह सफल होती है तो यह पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी स्वरूप साबित हो सकता है कि चीन अब युद्धक्षेत्र में सिर्फ संख्या से नहीं बल्कि तकनीक और स्मार्ट हथियारों से भी दबदबा बनाएगा।

इसके पीछे चीन का मकसद बिल्कुल साफ है – अमेरिकी ड्रोन टेक्नोलॉजी को टक्कर देना और विश्व सैन्य शक्ति के रूप में खुद को स्थापित करना। जिउतियन SS-UAV सिर्फ एक ड्रोन नहीं बल्कि एक रणनीतिक संकेत है कि चीन अब अपने सैन्य अभियानों को लंबी दूरी और उच्च तकनीक की ओर ले जाना चाहता है।

निष्कर्ष रूप में कहा जाए तो जिउतियन SS-UAV चीन के सैन्य भविष्य की झलक है। इसकी मारक क्षमता, बहुआयामी कार्यक्षमता और स्वायत्त ऑपरेशन इसे 21वीं सदी के युद्धों के लिए तैयार बनाते हैं। अगर यह UAV सफलतापूर्वक कार्य करता है तो यह पूरी दुनिया में ड्रोन युद्ध नीति को बदल सकता है।

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