भारतीय क्रिकेट इतिहास में जब-जब संघर्ष और संकल्प की बात होती है, तो कुछ नाम हमेशा याद किए जाते हैं। इन्हीं नामों में एक नाम है करुण नायर का। 2016 में इंग्लैंड के खिलाफ तिहरा शतक लगाने वाले करुण नायर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। पूरे आठ साल के लंबे अंतराल के बाद करुण नायर ने भारतीय टेस्ट टीम में वापसी की है और यह वापसी सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, धैर्य और मेहनत की जीत की कहानी है।
करुण नायर ने 2016 में जब इंग्लैंड के खिलाफ 303 रन की ऐतिहासिक पारी खेली थी, तो ऐसा लगा था कि यह बल्लेबाज भारतीय टीम में लंबे समय तक अपनी जगह बनाए रखेगा। लेकिन क्रिकेट की दुनिया में किस्मत कब पलट जाए, कोई नहीं जानता। 2017 में धर्मशाला टेस्ट के बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया और फिर लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद उन्हें मौका नहीं दिया गया। कई बार करुण नायर ने सोशल मीडिया पर अपने जज़्बात बयां किए। उन्होंने एक बार लिखा था, "Dear Cricket, please give me one more chance." आज, वह क्रिकेट ने उन्हें दूसरा मौका दिया है और वह भी तब, जब उन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी।
बीसीसीआई ने इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय टेस्ट टीम की घोषणा की है, जिसमें करुण नायर को शामिल किया गया है। शुभमन गिल को कप्तान और ऋषभ पंत को उप-कप्तान नियुक्त किया गया है। मोहम्मद शमी को चोट के कारण टीम से बाहर रखा गया है। करुण नायर की वापसी घरेलू क्रिकेट में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन का नतीजा है। उन्होंने रणजी ट्रॉफी 2024-25 सीज़न में विदर्भ के लिए खेलते हुए 863 रन बनाए, जिसमें चार शतक और दो अर्धशतक शामिल हैं। इसके अलावा, विजय हजारे ट्रॉफी में उन्होंने 779 रन बनाए, जिसमें पांच शानदार शतक दर्ज किए।
मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर ने करुण नायर के चयन को पूरी तरह जायज ठहराया है। उन्होंने कहा कि करुण नायर का अनुभव और निरंतर प्रदर्शन उन्हें टीम में जगह दिलाने के लिए पर्याप्त है। अगरकर ने यह भी बताया कि इंग्लैंड जैसे चुनौतीपूर्ण दौरे के लिए अनुभवी और मानसिक रूप से मजबूत खिलाड़ियों की जरूरत होती है, और नायर इन सभी मानकों पर खरे उतरते हैं।
करुण नायर की वापसी को लेकर क्रिकेट प्रेमियों में जबरदस्त उत्साह है। सोशल मीडिया पर उन्हें बधाइयों की बाढ़ आ गई है। कई क्रिकेट फैंस ने इसे "कमबैक ऑफ द डिकेड" करार दिया है। लोग उनकी वापसी को एक प्रेरणास्रोत के रूप में देख रहे हैं और उनके संघर्ष को सलाम कर रहे हैं। खास बात यह है कि जिस इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने अपना तिहरा शतक जड़ा था, उसी टीम के खिलाफ उन्हें दोबारा खेलने का मौका मिला है। यह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि करुण नायर इस मौके को कैसे भुनाते हैं। अगर वह अपने पुराने फॉर्म को दोहराने में सफल होते हैं, तो यह न केवल उनके लिए, बल्कि भारतीय टेस्ट टीम के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। नायर की यह वापसी उन तमाम खिलाड़ियों के लिए एक उदाहरण है जो बार-बार रिजेक्शन के बाद भी उम्मीद नहीं छोड़ते।
करुण नायर की कहानी हमें यह सिखाती है कि संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता। अगर मेहनत सच्चे दिल से की जाए और धैर्य रखा जाए, तो समय जरूर पलटता है। क्रिकेट ने उन्हें दूसरा मौका दिया है, अब बारी करुण नायर की है कि वह इसे कैसे भुनाते हैं। उनकी यह वापसी क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक उम्मीद की किरण है और भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक प्रेरक अध्याय के रूप में दर्ज हो गई है।