मुर्शिदाबाद हिंसा 2025: क्या ममता बनर्जी के TMC नेता की थी भूमिका? हाईकोर्ट रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे!

अप्रैल 2025 में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हुई सांप्रदायिक हिंसा ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा। यह हिंसा वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध के दौरान भड़की, जिसमें कई लोगों की जान गई और सैकड़ों घायल हुए। कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट ने इस हिंसा को लेकर कई गंभीर तथ्य उजागर किए हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय प्रशासन और पुलिस की घोर लापरवाही और निष्क्रियता के चलते यह हिंसा भड़क उठी।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 11 अप्रैल 2025 को विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस पूरी तरह नदारद थी। इसी का फायदा उठाकर उपद्रवियों ने पुलिस पर हमला किया, वाहनों में आग लगाई और तोड़फोड़ की। इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। रिपोर्ट में कहा गया कि पुलिस द्वारा समय रहते कार्रवाई न किए जाने के कारण स्थिति बेकाबू हो गई। पुलिस न केवल घटनास्थल पर मौजूद नहीं थी, बल्कि स्थिति पर नियंत्रण पाने की कोई प्रभावी योजना भी नहीं बनाई गई थी।



हिंसा के बाद अब तक 274 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और 60 से ज्यादा प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। यह घटना राजनीतिक रूप से भी काफी संवेदनशील बन गई है। भाजपा ने इस घटना को लेकर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) पर निशाना साधा है। भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि टीएमसी की तुष्टिकरण की राजनीति ने चरमपंथी तत्वों को बढ़ावा दिया, जिनका मुख्य निशाना हिंदू समुदाय था। उनका दावा है कि 400 से ज्यादा हिंदू परिवारों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।

इस मामले में TMC नेता और स्थानीय पार्षद महबूब आलम का नाम भी सामने आ रहा है, हालांकि अब तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। विपक्ष का आरोप है कि यह हिंसा एक पूर्व नियोजित साजिश थी और इसके पीछे सत्ताधारी दल के कुछ नेताओं की भूमिका हो सकती है। वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा पर फर्जी वीडियो और तस्वीरों के जरिए माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया है। टीएमसी का कहना है कि भाजपा की यह चाल सिर्फ राजनीतिक लाभ उठाने के लिए है।

वामपंथी दलों, विशेष रूप से सीपीआई(एम), ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है। उन्होंने इस हिंसा को "राजनीतिक लाभ के लिए रची गई साजिश" बताया और इसे "सांप्रदायिक प्रतिस्पर्धा" का नतीजा कहा। सीपीआई(एम) ने इस पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच की मांग की है ताकि सच सामने आ सके।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 5 मई 2025 को मुर्शिदाबाद का दौरा किया और स्थानीय नेताओं के साथ बैठक की। उन्होंने इस हिंसा को सुनियोजित बताया और भाजपा पर आरोप लगाया कि वह दोषियों को बचा रही है। उन्होंने सभी से शांति बनाए रखने की अपील की और आश्वासन दिया कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

इस पूरी घटना ने राज्य की कानून व्यवस्था और प्रशासनिक निष्क्रियता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं, वहीं आम जनता न्याय की मांग कर रही है। आने वाले दिनों में जांच की प्रगति यह तय करेगी कि क्या वास्तव में इस हिंसा में किसी राजनीतिक नेता की भूमिका थी या यह केवल एक प्रशासनिक विफलता का नतीजा था। फिलहाल कलकत्ता हाईकोर्ट की रिपोर्ट और आगामी कानूनी कार्रवाइयों पर सबकी नजरें टिकी हैं।