पाकिस्तान की गरीबी और अशिक्षा के बीच परमाणु शक्ति का दिखावा – भारत ने दिखाई असली ताकत

पाकिस्तान लंबे समय से खुद को एक परमाणु शक्ति बताकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रभाव जमाने की कोशिश करता रहा है, लेकिन इसके पीछे छिपी कड़वी सच्चाई को हाल ही में अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने उजागर किया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि “पाकिस्तान के एक-तिहाई बच्चे कभी स्कूल नहीं गए हैं और एक-तिहाई आबादी आज भी गरीबी रेखा के नीचे जीवन बिता रही है। फिर भी यह देश परमाणु हथियारों के नाम पर खुद को महाशक्ति बताता है।” यह बयान पाकिस्तान की नीतियों और उसकी प्राथमिकताओं पर गंभीर सवाल खड़े करता है।



पाकिस्तान में शिक्षा की स्थिति बेहद चिंताजनक है। सरकार की उपेक्षा और आतंकवाद के साए में पले-बढ़े इस देश में करोड़ों बच्चे आज भी स्कूलों से वंचित हैं। यूनिसेफ की रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान में लगभग 2.5 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जाते, जो किसी भी देश के लिए बेहद गंभीर आंकड़ा है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर बेहद खराब है। न तो वहां पर्याप्त स्कूल हैं, और जो हैं भी, उनमें योग्य शिक्षक और बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। पाकिस्तान की सरकार को चाहिए कि वह शिक्षा पर ध्यान दे, न कि सिर्फ हथियारों पर खर्च करे।

गरीबी की बात करें तो पाकिस्तान की एक तिहाई आबादी आज भी बुनियादी ज़रूरतों से जूझ रही है। खाने, पीने, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी ज़रूरतों को पूरा करना आज भी देश के लाखों नागरिकों के लिए एक चुनौती है। महंगाई आसमान छू रही है, विदेशी कर्ज़ लगातार बढ़ रहा है और देश की अर्थव्यवस्था लगभग दिवालिया होने की कगार पर है। ऐसे में, परमाणु हथियार होना गर्व की बात नहीं, बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण विडंबना है।

दूसरी ओर, भारत ने अपने पड़ोसी की इन कड़वी सच्चाइयों के बीच अपनी सैन्य और कूटनीतिक शक्ति का प्रदर्शन हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के ज़रिए किया है। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों को सिर्फ तीन दिन के भीतर ध्वस्त कर दिया। यह संदेश स्पष्ट था – भारत की सेनाएं किसी भी चुनौती का सामना करने में पूरी तरह सक्षम हैं। पाकिस्तान को सिर्फ हथियारों का दिखावा बंद कर, देश के वास्तविक विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

आज जब पाकिस्तान की बड़ी आबादी शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और मूलभूत सुविधाओं से वंचित है, तब उसके पास परमाणु हथियार होना कोई गौरव की बात नहीं रह जाती। एक जिम्मेदार राष्ट्र वही होता है जो अपनी जनता के विकास को प्राथमिकता दे, ना कि दुनिया को हथियार दिखा कर डराने की कोशिश करे। भारत ने दिखा दिया है कि सिर्फ ताकतवर सेनाएं ही नहीं, बल्कि सशक्त लोकतंत्र, मजबूत अर्थव्यवस्था और समावेशी विकास ही किसी देश को महाशक्ति बनाते हैं।

पाकिस्तान को अब यह समझना होगा कि उसकी असली ताकत हथियार नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वच्छ शासन और आर्थिक सुधारों में है। यदि वह अपने बच्चों को शिक्षा, नागरिकों को रोजगार और समाज को स्थिरता दे सके, तभी वह एक सच्चे राष्ट्र की तरह उभर पाएगा। अन्यथा परमाणु शक्ति के नाम पर सिर्फ भ्रम फैलाने से देश की हालत और बदतर होती जाएगी।