उत्तराखंड के देहरादून जिले से भ्रष्टाचार का चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। यह घटना कालसी तहसील की है, जहां विजिलेंस टीम ने पटवारी गुलशन हैदर को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। पटवारी पर आरोप है कि वह मूल निवास और जाति प्रमाण पत्र जारी करने के एवज में 2000 रुपये की रिश्वत की मांग कर रहा था। शिकायत मिलने पर विजिलेंस ने जाल बिछाकर उसे पकड़ने की योजना बनाई।
शिकायतकर्ता ने यह मामला उत्तराखंड सतर्कता अधिष्ठान के टोल फ्री नंबर 1064 पर दर्ज कराया था। शिकायत के आधार पर विजिलेंस की विशेष ट्रैप टीम ने कार्रवाई की योजना बनाई। जैसे ही पटवारी ने रिश्वत की रकम ली, विजिलेंस टीम ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। खुद को बचाने के लिए पटवारी गुलशन हैदर ने 500-500 रुपये के चार नोट निगल लिए ताकि उसके खिलाफ कोई सबूत न बचे।
इस हरकत से विजिलेंस टीम को कुछ समय के लिए मुश्किल हुई, क्योंकि उनके पास प्रत्यक्ष रूप से कोई रिश्वत की रकम बची नहीं थी। लेकिन टीम ने हार नहीं मानी और पटवारी को तुरंत अस्पताल ले जाया गया। वहां उसका अल्ट्रासाउंड कराया गया ताकि निगले गए नोटों का कोई सुराग मिल सके। हालांकि अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में कोई नोट नहीं दिखे। अब विजिलेंस ने तय किया है कि वह पटवारी की एंडोस्कोपी कराएगी ताकि निगले गए नोटों को पेट से बाहर निकाला जा सके और पुख्ता सबूत के तौर पर पेश किया जा सके।
विजिलेंस की इस कार्रवाई की पूरे राज्य में सराहना हो रही है। राज्य के सतर्कता निदेशक डॉ. वी. मुरूगेसन ने ट्रैप टीम की इस सटीक कार्रवाई पर उन्हें नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है। साथ ही उन्होंने आम जनता से भी अपील की है कि यदि किसी को किसी भी सरकारी कर्मचारी द्वारा रिश्वत मांगने की जानकारी हो, तो वह बिना डरे विजिलेंस को इसकी जानकारी दें। इसके लिए टोल फ्री नंबर 1064 हमेशा सक्रिय है।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि उत्तराखंड में भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए विजिलेंस कितनी गंभीर है। इस तरह की कार्रवाइयों से अन्य भ्रष्ट अधिकारी भी सतर्क हो जाएंगे। वहीं, आम जनता को भी यह भरोसा मिलेगा कि यदि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो उन्हें प्रशासन का पूरा सहयोग मिलेगा।
पटवारी गुलशन हैदर के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है। अब आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है और विजिलेंस द्वारा जांच की प्रक्रिया जारी है। यह घटना न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक मिसाल भी है कि कानून से कोई नहीं बच सकता, चाहे वह कितना भी चालाक क्यों न हो।
भ्रष्टाचार के खिलाफ इस मुहिम में जनता की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। यदि समाज के हर व्यक्ति में यह जागरूकता आ जाए कि भ्रष्टाचार के खिलाफ चुप नहीं बैठना है, तो ऐसे मामलों में और गिरावट आ सकती है। विजिलेंस की इस कार्रवाई ने यह दिखा दिया है कि ईमानदार शिकायत और कड़ी निगरानी से कोई भी भ्रष्टाचार नहीं टिक सकता।
इस पूरे मामले से यह संदेश स्पष्ट है कि उत्तराखंड में अब भ्रष्टाचार को लेकर शून्य सहिष्णुता की नीति अपनाई जा रही है और प्रशासन पूरी ताकत से ऐसे मामलों पर कार्रवाई कर रहा है।