नालंदा कोचिंग सेंटर विवाद: शिक्षक द्वारा छात्र की पिटाई का वीडियो वायरल, शिक्षा व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल

बिहार के नालंदा जिले से एक अत्यंत चौंकाने वाली और दुखद घटना सामने आई है जिसने शिक्षा जगत को हिलाकर रख दिया है। नालंदा के प्रसिद्ध कोचिंग सेंटर "बिग डाटा फिजिक्स क्लासेस" में संचालक निर्मल कुमार द्वारा एक छात्र सन्नी कुमार की बेरहमी से पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। इस घटना ने न केवल शिक्षक और छात्र के रिश्ते पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि कोचिंग संस्थानों की कार्यप्रणाली और उनके नियंत्रण पर भी बहस छेड़ दी है।



इस घटना का वीडियो इंटरनेट पर तेज़ी से वायरल हो गया, जिसमें साफ़ तौर पर देखा जा सकता है कि शिक्षक निर्मल कुमार छात्र के बाल पकड़कर डंडे से बेरहमी से पिटाई कर रहे हैं। वीडियो में उनके द्वारा छात्र को गालियां देते हुए भी सुना जा सकता है। यह पूरी घटना कक्षा में घटित हुई जहां अन्य छात्र भी मौजूद थे, लेकिन किसी ने रोकने की हिम्मत नहीं की। बताया जा रहा है कि इस विवाद की शुरुआत दो छात्रों के बीच सीट को लेकर हुई कहासुनी से हुई थी। इसके बाद बात बढ़ती चली गई और संचालक ने गुस्से में आकर सन्नी को पीटना शुरू कर दिया।

पीड़ित छात्र सन्नी कुमार को हाथ, पीठ और सीने में गंभीर चोटें आई हैं। परिजनों द्वारा मामले की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस को सूचित किया गया। वहीं इस घटना के सामने आने के बाद नालंदा जिले के सभी कोचिंग सेंटरों ने विरोध स्वरूप अपने संस्थानों को बंद कर दिया है। कोचिंग संचालकों ने इस बर्बरता के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाई और जिला प्रशासन से आरोपी शिक्षक के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है।



यह घटना केवल एक छात्र की पिटाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सवाल उठाती है कि क्या आज के समय में शिक्षक अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं? क्या छात्रों के साथ शारीरिक हिंसा का कोई स्थान होना चाहिए? क्या कोचिंग संस्थानों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है? यह घटना यह भी दर्शाती है कि कई कोचिंग सेंटर केवल व्यवसायिक लाभ के लिए चलाए जा रहे हैं और वहां बच्चों के मानसिक व शारीरिक विकास का कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा।

इस पूरे मामले में प्रशासन की भूमिका भी बेहद अहम है। यदि प्रशासन इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाता, तो आने वाले समय में ऐसे और मामले सामने आ सकते हैं, जो बच्चों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को और अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। शिक्षा विभाग और बाल संरक्षण आयोग को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और आरोपी शिक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि आने वाले समय में कोई भी शिक्षक ऐसा करने की हिम्मत न करे।

इस वायरल वीडियो और कोचिंग बंदी के बाद समाज में बहस तेज हो गई है कि क्या कोचिंग सेंटर्स की निगरानी के लिए कोई प्रभावी तंत्र मौजूद है? क्या जिला शिक्षा अधिकारी समय-समय पर इन संस्थानों का निरीक्षण कर रहे हैं? यदि नहीं, तो ऐसे संस्थानों को लाइसेंस क्यों दिया गया? इन तमाम सवालों के जवाब अब जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग को देने होंगे।

इस घटना ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि शिक्षा केवल ज्ञान नहीं, बल्कि व्यवहार, संयम और सहनशीलता भी सिखाने का माध्यम है। एक शिक्षक, जिसे गुरु कहा जाता है, जब इस तरह की हिंसा करता है तो वह केवल अपने पेशे का अपमान नहीं करता बल्कि पूरे समाज को शर्मसार करता है।