राजस्थान एसआई भर्ती 2021 घोटाला: 200 से अधिक थानेदारों पर मंडरा रहा संकट, कई गिरफ्तार, कई फरार

राजस्थान में साल 2021 में आयोजित हुई एसआई भर्ती परीक्षा एक बड़ा घोटाला बनकर सामने आई है। इस घोटाले ने न सिर्फ राज्य की पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता और निष्पक्षता की पोल भी खोल दी है। एसआई परीक्षा में धांधली और पेपर लीक के इस मामले में अब तक 50 थानेदारों को गिरफ्तार किया जा चुका है जबकि 45 को बर्खास्त कर दिया गया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 200 से अधिक थानेदार अब भी इस घोटाले की जांच के घेरे में हैं और कुछ आरोपी अब तक फरार हैं।

जयपुर, नागौर, सीकर, भरतपुर, जोधपुर, बीकानेर और अन्य जिलों के पुलिस थानों में कार्यरत इन थानेदारों पर आरोप है कि इन्होंने पैसे और प्रभाव के बल पर परीक्षा पास की और एसआई की पोस्ट पाई। मेरिट सूची के टॉप 20 आरोपियों की पहचान कर ली गई है जिनमें से कई को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें प्रमुख नाम रामा कुमार विश्नोई (जालोर), विक्रम कुमार सैनी (सीकर), श्याम चौहान (नागौर), निकिता विश्नोई (जोधपुर), मालाराम विश्नोई (बाड़मेर), सुनीता यादव (सीकर), सुरजीत सिंह यादव (सीकर), करणवीर गोदारा (बीकानेर), देवेंद्र राठौड़ (नागौर), मोनिका जाट (झुंझुनू), और अमित सैनी (बूंदी) जैसे अभ्यर्थियों के हैं।



इस घोटाले की जांच राजस्थान स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) द्वारा की जा रही है और अब यह मामला राज्यभर में विरोध प्रदर्शन और आंदोलन का कारण बन चुका है। अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्होंने सालों मेहनत करके परीक्षा दी, लेकिन भ्रष्टाचार और पेपर लीक के कारण उनकी मेहनत व्यर्थ चली गई। अब न्याय के लिए प्रदर्शन करना उनकी मजबूरी बन गया है। राज्य में जगह-जगह धरना-प्रदर्शन जारी है और युवाओं में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है।

राजनीतिक स्तर पर भी यह मामला गरमा चुका है। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह भ्रष्ट अधिकारियों को बचा रही है और दोषियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर रही। दूसरी ओर राज्य सरकार ने कहा है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि भर्ती को पूरी तरह से रद्द नहीं किया जाएगा ताकि जो उम्मीदवार वाकई में योग्य हैं, उन्हें नुकसान न हो।

गौरतलब है कि यह घोटाला उस समय सामने आया जब कई गिरफ्तार थानेदारों की मेरिट क्रमशः 1 से 100 तक के भीतर थी और उनके चयन पर संदेह हुआ। जांच में पता चला कि इन्होंने पेपर लीक या नकल के माध्यम से उच्च अंक प्राप्त किए थे। वहीं कुछ थानेदार ऐसे भी हैं जिन्होंने पैसे लेकर दूसरे अभ्यर्थियों को पास करवाया या खुद की जगह किसी और को परीक्षा में बैठाया।

यह पूरा मामला राज्य की कानून व्यवस्था और पुलिस विभाग की साख के लिए बहुत बड़ा झटका है। युवाओं का भविष्य इस तरह के घोटालों की भेंट चढ़ रहा है और यदि समय रहते सरकार व न्यायालय ने कोई कठोर कदम नहीं उठाया, तो भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोहराई जा सकती हैं। जरूरत इस बात की है कि सभी दोषियों को सख्त सजा दी जाए और पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए ताकि योग्य और मेहनती युवाओं को न्याय मिल सके।

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 15 मई तक का समय दिया है कि वह इस पूरे मामले में अंतिम निर्णय ले। वरना अदालत अपने स्तर पर इस मामले में फैसला सुनाएगी। पूरे प्रदेश की नजरें अब इस पर टिकी हैं कि क्या वाकई दोषियों को सजा मिलेगी या फिर यह मामला भी अन्य राजनीतिक घोटालों की तरह धूल फांकता रह जाएगा।