पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के टॉप आतंकी सैफुल्लाह खालिद की हत्या – जानिए पूरी खबर

परिचय

पाकिस्तान से एक बड़ी और चौंकाने वाली खबर सामने आई है। भारत में कई आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार लश्कर-ए-तैयबा का टॉप कमांडर सैफुल्लाह खालिद, जिसे सैफुल्लाह कसूरी के नाम से भी जाना जाता है, को पाकिस्तान में अज्ञात हमलावरों ने मौत के घाट उतार दिया है। यह घटना आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है और भारत के लिए एक अहम विकास।

कौन था सैफुल्लाह खालिद?



सैफुल्लाह खालिद लश्कर-ए-तैयबा का एक वरिष्ठ आतंकवादी था और संगठन के डिप्टी कमांडर के रूप में कार्यरत था। उसका मुख्यालय पाकिस्तान के पेशावर में था, जहां से वह संगठन की गतिविधियों का संचालन करता था। खालिद का संबंध जमात-उद-दावा से भी था, जो कि लश्कर-ए-तैयबा का ही एक और नाम है। वह भारत विरोधी भाषणों और आतंक फैलाने के लिए कुख्यात था। कहा जाता है कि वह आतंकी सरगना हाफिज सईद का करीबी था और उसके निर्देशों पर काम करता था।

भारत में किन आतंकी हमलों में था शामिल?

सैफुल्लाह खालिद भारत में कई बड़े आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड रह चुका था। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में उसका नाम सामने आया था, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी। इसके अलावा वह कई अन्य घातक आतंकी हमलों की साजिश में भी शामिल रहा है। भारत की सुरक्षा एजेंसियां लंबे समय से उसकी तलाश कर रही थीं।

कैसे हुई उसकी हत्या?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सैफुल्लाह खालिद को पाकिस्तान में अज्ञात हमलावरों ने मार गिराया। हालांकि उसकी मौत की जगह और समय को लेकर पाकिस्तानी प्रशासन ने कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह हमला सुनियोजित था। इससे पहले मार्च 2025 में, लश्कर के एक और टॉप कमांडर अबू कतल को भी झेलम में अज्ञात हमलावरों ने मार दिया था।

क्या है इसके पीछे की वजह?

ऐसा माना जा रहा है कि सैफुल्लाह की हत्या लश्कर-ए-तैयबा के अंदर चल रहे आंतरिक संघर्ष या अन्य आतंकी संगठनों के साथ टकराव का नतीजा हो सकती है। पाकिस्तान में आतंकी संगठनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई कोई नई बात नहीं है। यह भी संभव है कि उसकी हत्या किसी गुप्त ऑपरेशन के तहत की गई हो, हालांकि इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

भारत के लिए क्या है इसका मतलब?

सैफुल्लाह खालिद की मौत भारत की सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। वह लंबे समय से भारत के खिलाफ आतंक फैलाने में सक्रिय था और उसकी मौत से लश्कर-ए-तैयबा की ताकत को बड़ा झटका लगा है। हालांकि, भारत को अभी भी सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि ऐसे संगठन अक्सर नए आतंकियों को भर्ती कर अपनी गतिविधियों को जारी रखते हैं।

निष्कर्ष

सैफुल्लाह खालिद की हत्या पाकिस्तान में आतंकी संगठनों के बीच बढ़ती अस्थिरता को दर्शाती है। यह घटना भारत के लिए राहत की खबर है लेकिन साथ ही यह भी संकेत है कि आतंकवाद के खिलाफ जंग अभी खत्म नहीं हुई है। भारत को अपनी सुरक्षा एजेंसियों को और अधिक मजबूत बनाते हुए इन संगठनों पर कड़ी निगरानी बनाए रखनी होगी।