रूस और यूक्रेन के बीच जारी लंबे संघर्ष को समाप्त करने के लिए जब-जब शांति वार्ता की संभावनाएं नजर आईं, तभी कोई न कोई राजनीतिक या कूटनीतिक अड़चन सामने आ खड़ी हुई। हाल ही में एक और ऐसी ही कोशिश को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित वेटिकन शांति वार्ता को ठुकरा दिया। इस अस्वीकार से साफ हो गया है कि फिलहाल रूस-यूक्रेन संघर्ष का कोई शीघ्र समाधान दिखाई नहीं देता।
डोनाल्ड ट्रंप ने पोप फ्रांसिस के एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की से मुलाकात की थी। इस मुलाकात को “उत्पादक” बताया गया और दोनों नेताओं ने शांति स्थापना के विकल्पों पर विचार-विमर्श किया। इस दौरान ट्रंप ने प्रस्ताव रखा कि वेटिकन जैसे तटस्थ और धार्मिक स्थल पर रूस-यूक्रेन के बीच शांति वार्ता करवाई जा सकती है, ताकि वैश्विक स्तर पर एक सकारात्मक संदेश जाए। लेकिन पुतिन ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया और वेटिकन को वार्ता स्थल के रूप में अस्वीकार कर दिया।
रूसी अधिकारियों का कहना है कि वेटिकन धार्मिक दृष्टिकोण से उनके लिए उपयुक्त स्थल नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि यदि बातचीत करनी ही है तो जिनेवा जैसे किसी अधिक राजनीतिक और कूटनीतिक स्थल पर की जा सकती है। ट्रंप के वार्ताकार कीथ केलॉग ने भी इस विकल्प को आगे बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन फिलहाल इसका भी कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है।
डोनाल्ड ट्रंप ने इस अस्वीकृति पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें पुतिन की मंशा पर संदेह है। उनका मानना है कि पुतिन वास्तव में युद्ध समाप्त नहीं करना चाहते और वह केवल युद्ध के जरिए अपनी भू-राजनीतिक स्थिति मजबूत करना चाहते हैं। ट्रंप ने यह भी इशारा किया कि पुतिन से निपटने के लिए केवल सैन्य या कूटनीतिक उपाय ही नहीं, बल्कि आर्थिक दबाव और द्वितीयक प्रतिबंध भी जरूरी होंगे।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने भी पुतिन की मानसिकता पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि पुतिन एक ओर तो युद्ध विराम की बात करते हैं लेकिन दूसरी ओर सीमावर्ती इलाकों में कब्जा करते जा रहे हैं। रूस ने हाल ही में यूक्रेन के सुमी क्षेत्र में चार सीमा गांवों पर नियंत्रण कर लिया है, जिसे पुतिन ने “बफर ज़ोन” कहा है। इससे साफ है कि रूस अब युद्ध को नए स्तर पर ले जाने की तैयारी कर रहा है।
इस बीच अमेरिका की ओर से नए आर्थिक प्रतिबंधों की बात हो रही है। कुछ अमेरिकी सांसदों ने रूस से ऊर्जा आयात करने वाले देशों पर भारी टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा है ताकि रूस के वित्तीय स्रोतों को कमजोर किया जा सके। वहीं, ट्रंप प्रशासन यूक्रेन को अतिरिक्त सैन्य सहायता देने पर भी विचार कर रहा है।
कुल मिलाकर, रूस द्वारा शांति वार्ता के इस प्रस्ताव को ठुकराना वैश्विक कूटनीति के लिए बड़ा झटका है। इससे न केवल युद्ध समाप्ति की संभावनाएं कम हुई हैं, बल्कि यह भी साफ हो गया है कि फिलहाल रूस इस युद्ध को समाप्त करने के मूड में नहीं है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह चुनौती बन गया है कि वह किस प्रकार इस संघर्ष को नियंत्रण में लाए और दोनों पक्षों को वार्ता की मेज़ पर लाए।
अगर आने वाले महीनों में कोई ठोस पहल नहीं होती है, तो यह युद्ध और अधिक विनाशकारी रूप ले सकता है, जो न केवल पूर्वी यूरोप बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर खतरा बन जाएगा।