भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने विदेशी फंडिंग प्राप्त करने वाले एनजीओ (NGO) पर एक बड़ा और सख्त कदम उठाया है। यह फैसला न केवल देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए लिया गया है, बल्कि "एंटी-इंडिया न्यूज़" फैलाने वाले संगठनों पर सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में देखा जा रहा है। गृह मंत्रालय ने FCRA (Foreign Contribution Regulation Act) के तहत नए नियम लागू किए हैं, जिनका असर देशभर के हजारों एनजीओ पर पड़ेगा, विशेष रूप से उन पर जो खबरों के नाम पर देश विरोधी नैरेटिव फैलाने में शामिल रहे हैं।
नए नियमों के अनुसार, जो एनजीओ एफसीआरए के तहत पंजीकरण या पूर्व अनुमति के लिए आवेदन करते हैं, उन्हें अब यह घोषणा करनी होगी कि वे समाचार संबंधी कोई सामग्री प्रकाशित या प्रसारित नहीं करेंगे। यानी, यदि कोई एनजीओ विदेशी चंदा लेना चाहता है, तो वह किसी भी प्रकार की समाचार गतिविधि में संलग्न नहीं हो सकता। इसके साथ ही ऐसे सभी संगठनों को पिछले तीन वित्तीय वर्षों के ऑडिट रिपोर्ट और वित्तीय विवरण भी आवेदन के साथ संलग्न करने होंगे।
सरकार का यह स्पष्ट मानना है कि कई एनजीओ जो विदेशी चंदा प्राप्त करते हैं, वे उस फंडिंग का इस्तेमाल पत्रकारिता या तथाकथित सामाजिक शोध की आड़ में देश की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए करते हैं। इन संगठनों पर यह भी आरोप रहा है कि वे भारत की नीतियों के खिलाफ झूठा प्रचार करते हैं और विदेशी एजेंडों को बढ़ावा देते हैं। ऐसे मामलों की गंभीरता को समझते हुए, MHA ने एफसीआरए कानून के प्रावधानों को और कड़ा करने का फैसला किया है।
इसके अतिरिक्त, गृह मंत्रालय ने यह भी निर्देश जारी किया है कि यदि किसी एनजीओ के पदाधिकारियों के आतंकवादी संगठनों से किसी भी प्रकार के संबंध पाए जाते हैं, तो उस एनजीओ का एफसीआरए पंजीकरण तत्काल प्रभाव से रद्द किया जा सकता है। यह निर्णय उन एनजीओ पर भी लागू होगा जो राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए जाते हैं या जिनकी संपत्ति का उपयोग ऐसे उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
सरकार के इस फैसले को देश की सुरक्षा नीति से जुड़ा एक बड़ा कदम माना जा रहा है। कई वर्षों से ऐसी मांग उठती रही थी कि विदेशी फंडिंग प्राप्त करने वाले संगठनों की पारदर्शिता बढ़ाई जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि वे भारत के खिलाफ किसी प्रकार का एजेंडा संचालित न करें। अब जब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे संगठन समाचार नहीं चला सकते, तो इससे मीडिया के नाम पर चल रहे नकली और प्रायोजित अभियान पर अंकुश लगने की उम्मीद है।
यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही के वर्षों में भारत सरकार ने एफसीआरए कानूनों के तहत कई संगठनों के पंजीकरण रद्द किए हैं। चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया (CNI-SBSS) और वॉलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया (VHAI) जैसे बड़े नाम भी इस सूची में शामिल हैं। अब सरकार उन सभी संगठनों पर भी निगरानी रखेगी जो समाचार वेबसाइट, ब्लॉग या यूट्यूब चैनल के माध्यम से देश विरोधी प्रोपेगेंडा फैलाने में लगे हुए हैं।
गृह मंत्रालय के इस निर्णय से स्पष्ट है कि भारत अब अपनी आंतरिक सुरक्षा और मीडिया पारिस्थितिकी तंत्र को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए तत्पर है। विदेशी फंडिंग केवल सामाजिक कल्याण और विकास के लिए होनी चाहिए, न कि राजनीतिक लाभ या राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए। सरकार का यह कदम देशहित में उठाया गया एक निर्णायक और साहसिक निर्णय है, जो आने वाले समय में भारत की मीडिया और एनजीओ सेक्टर में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करेगा।