गाज़ा में मानवीय संकट दिन-ब-दिन भयावह होता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता प्रमुख टॉम फ्लेचर ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया है जिसने पूरी दुनिया को झकझोर दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर अगले 48 घंटों में गाज़ा में तत्काल मानवीय सहायता नहीं पहुंचाई गई, तो करीब 14,000 बच्चों की जान खतरे में पड़ सकती है। यह चेतावनी ऐसे समय पर आई है जब गाज़ा पर इज़राइल की घेराबंदी और हमलों को लेकर पहले ही वैश्विक आलोचना हो रही है।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, गाज़ा में अभी भी हजारों ट्रक सहायता सामग्री के साथ तैयार खड़े हैं, जिनमें बच्चों के लिए पोषणयुक्त आहार, दवाएं और अन्य जरूरी सामग्री शामिल है। लेकिन इज़राइली प्रतिबंधों और प्रशासनिक अड़चनों के कारण इन ट्रकों को गाज़ा में प्रवेश नहीं मिल पा रहा है। टॉम फ्लेचर ने बीबीसी रेडियो 4 को दिए इंटरव्यू में बताया कि “हम इन ट्रकों को गाज़ा भेजने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमें हर मोड़ पर बाधाएं झेलनी पड़ रही हैं।”
गौरतलब है कि इज़राइल ने हाल ही में करीब 100 सहायता ट्रकों को गाज़ा में प्रवेश की अनुमति दी है, लेकिन यह संख्या पर्याप्त नहीं है। युद्ध से पहले गाज़ा में प्रतिदिन लगभग 500 ट्रक सहायता सामग्री पहुंचते थे। अब इस संख्या में भारी गिरावट आई है, जिससे गाज़ा के लोगों विशेषकर बच्चों की स्थिति बेहद नाजुक हो गई है। फ्लेचर ने साफ कहा कि “हमें गाज़ा में सहायता की बाढ़ लानी होगी, नहीं तो हम हजारों मासूम जिंदगियों को खो देंगे।”
गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इज़राइली हमलों में अब तक 53,500 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। सिर्फ पिछले 24 घंटों में ही 87 लोगों की मौत हुई है। अस्पतालों की हालत इतनी खराब हो गई है कि उन्हें बिजली, दवाइयों और मेडिकल स्टाफ की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। कुछ शिशु देखभाल केंद्रों में नवजात बच्चों को ऑक्सीजन और जीवनरक्षक उपकरणों की अनुपलब्धता के कारण मरते देखा गया है।
इस भयावह स्थिति को देखते हुए दुनिया के कई बड़े देशों ने चिंता जाहिर की है। यूरोपीय संघ ने इज़राइल के साथ व्यापार समझौते की समीक्षा की घोषणा की है, वहीं ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा जैसे देशों ने भी इज़राइल की सैन्य कार्रवाइयों की कड़ी आलोचना की है। ये देश अब ऐसे संकेत दे रहे हैं कि यदि गाज़ा में सहायता नहीं पहुंची और हालात नहीं सुधरे, तो वे कड़े कदम उठा सकते हैं।
टॉम फ्लेचर ने यह भी बताया कि संयुक्त राष्ट्र की टीमें गाज़ा में सक्रिय हैं और विभिन्न स्कूलों, अस्पतालों और शिविरों में जाकर लोगों की ज़रूरतों का मूल्यांकन कर रही हैं। उन्होंने यह अपील की कि वैश्विक समुदाय अब सिर्फ चिंता न जताए, बल्कि ठोस कार्रवाई करे। क्योंकि अगर हम आज चुप रहे, तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा।
गाज़ा में 14,000 बच्चों की जान बचाने के लिए यह समय निर्णायक है। मानवता के नाम पर अब हर देश, हर संस्था और हर व्यक्ति को अपनी आवाज बुलंद करनी होगी। यह सिर्फ एक क्षेत्रीय संकट नहीं है, बल्कि यह मानवता के मूल्यों की अग्निपरीक्षा है। अब अगर दुनिया नहीं बोली, तो बहुत देर हो जाएगी।