अहमदाबाद विमान हादसा: 241 की मौत, पर भगवद गीता रही सुरक्षित – यह चमत्कार या संदेश?

12 जून 2025 को भारत के विमानन इतिहास की सबसे भयानक दुर्घटनाओं में से एक ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। अहमदाबाद से लंदन के लिए रवाना हुई एयर इंडिया की फ्लाइट AI171, टेक ऑफ के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। विमान में सवार 242 यात्रियों में से 241 लोगों की मृत्यु की पुष्टि हो चुकी है। हादसे में सिर्फ एक व्यक्ति जीवित बच पाया है। इस दुर्घटना ने जहां पूरे देश को सदमे में डाल दिया, वहीं मलबे से एक ऐसी चीज मिली जिसने करोड़ों लोगों को आश्चर्य में डाल दिया — एक भगवद गीता की प्रति जो पूरी तरह सुरक्षित रही।

इस विमान में लगभग 1,25,000 लीटर एविएशन फ्यूल था। जब विमान अहमदाबाद मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल के ऊपर गिरा, तो विस्फोट इतना भयानक था कि तापमान 500 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक तक पहुँच गया। इतनी भीषण आग में सब कुछ जलकर राख हो गया — इंसान, धातु, कपड़े, मोबाइल फोन, दस्तावेज़ और यहां तक कि पूरे भवन का एक हिस्सा। लेकिन उस मलबे में भगवद गीता की एक प्रति बिना किसी खरोंच के सुरक्षित मिली। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और चश्मदीदों के बयान इस चमत्कार की पुष्टि करते हैं।



यह घटना टेक्नोलॉजी और आध्यात्मिकता के बीच एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। इतने वैज्ञानिक और मजबूत विमान के ध्वस्त हो जाने के बाद जब हर चीज राख में तब्दील हो चुकी थी, तब एक धार्मिक ग्रंथ का पूरी तरह से बच जाना क्या कोई संयोग था या कोई ईश्वरीय संकेत?

विमान की तकनीकी जांच में यह पाया गया कि फ्लैप्स और लैंडिंग गियर के सिस्टम में गड़बड़ी की संभावना है, जिससे टेकऑफ के कुछ ही सेकेंड बाद विमान नियंत्रण खो बैठा और गिर पड़ा। हादसा इतना तेज था कि पायलट को भी कोई प्रतिक्रिया देने का समय नहीं मिला। एयर इंडिया और भारत सरकार ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं, साथ ही मृतकों के परिवार को ₹1 करोड़ की सहायता राशि देने की घोषणा भी की गई है।

इस हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी सवार थे। मलबे की जांच और डीएनए पहचान के जरिए अभी भी शवों की शिनाख्त की प्रक्रिया चल रही है। कई लोगों के अनुसार, इतनी भयावह दुर्घटना में भगवद गीता का बच जाना एक आध्यात्मिक संकेत है जो यह बताता है कि जीवन में ईश्वर, धर्म और आध्यात्मिकता की कितनी गहरी भूमिका होती है।

यह घटना आज देश में चर्चा का विषय बन चुकी है — सोशल मीडिया, समाचार चैनल, धार्मिक मंच और आध्यात्मिक गुरुओं तक हर जगह इसी एक प्रश्न पर बात हो रही है कि क्या यह केवल एक संयोग था या फिर भगवान का संकेत?

यह कहना गलत नहीं होगा कि यह भगवद गीता अब सिर्फ एक धार्मिक पुस्तक नहीं, बल्कि आस्था, विश्वास और चमत्कार की प्रतीक बन चुकी है। यह हमें यह भी याद दिलाती है कि जब सब कुछ खत्म हो जाता है, तब भी अध्यात्म और विश्वास ज़िंदा रहते हैं।

हम उन सभी 241 लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि उनके परिवारों को इस असहनीय दुख से उबरने की शक्ति मिले। साथ ही, भगवद गीता की सुरक्षित अवस्था हमें यही सिखाती है कि चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, सत्य और धर्म सदा जीवित रहते हैं।