👋 Join Us Bilawal Bhutto's insult in the United Nations:-बिलावल भुट्टो की संयुक्त राष्ट्र में बेइज्जती , विदेशी पत्रकार ने दिखाई पाकिस्तान को आईना

Bilawal Bhutto's insult in the United Nations:-बिलावल भुट्टो की संयुक्त राष्ट्र में बेइज्जती , विदेशी पत्रकार ने दिखाई पाकिस्तान को आईना

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में हुई एक प्रेस वार्ता के दौरान पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने एक बार फिर भारत पर निशाना साधते हुए विवादास्पद बयान दे डाला। बिलावल ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत में मुसलमानों को ‘शैतान’ की तरह चित्रित किया जा रहा है और उनके साथ भेदभाव हो रहा है। लेकिन यह बयान उनके लिए उलटा पड़ गया जब एक विदेशी मुस्लिम पत्रकार ने उनके तर्क पर तीखा सवाल दागा।



पत्रकार ने पूछा, “क्या ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग एक मुस्लिम भारतीय सेना अधिकारी द्वारा नहीं की गई थी?” यह सवाल सीधे तौर पर बिलावल भुट्टो की बातों पर प्रहार था और दुनिया के सामने पाकिस्तान की बयानबाज़ी की पोल खोल कर रख दी। यह वाकया अंतरराष्ट्रीय मीडिया में वायरल हो गया और एक बार फिर पाकिस्तान की छवि को गहरा धक्का लगा।

बात करें उस घटनाक्रम की, जिसने इस पूरे विवाद को जन्म दिया, तो वह है 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला। इस हमले में 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए थे और इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने ली थी। इस हमले के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम से एक बड़ी सैन्य कार्यवाही को अंजाम दिया। इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान की सीमा के भीतर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए 9 विमान, कई ड्रोन और मिसाइल लॉन्च सिस्टम तबाह कर दिए। यह कार्रवाई इतनी सटीक और तीव्र थी कि पाकिस्तान को तुरंत संघर्षविराम की अपील करनी पड़ी।



बिलावल भुट्टो का यह कहना कि भारत में मुसलमानों के साथ भेदभाव हो रहा है, न केवल तथ्यात्मक रूप से गलत है, बल्कि भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र का अपमान भी है। भारत में मुसलमान सेना, प्रशासन, राजनीति और विज्ञान सहित हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। जिस ऑपरेशन सिंदूर का हवाला पत्रकार ने दिया, उसकी ब्रीफिंग एक मुस्लिम भारतीय सेना अधिकारी ने दी थी, जो इस बात का प्रमाण है कि भारत में धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता।

वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान की स्थिति बिल्कुल विपरीत है। वहां अल्पसंख्यकों की स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है। हिंदू, सिख, ईसाई और अहमदिया समुदायों को लगातार अत्याचार का सामना करना पड़ता है। ऐसे में पाकिस्तान का भारत पर धार्मिक भेदभाव का आरोप लगाना न केवल हास्यास्पद है बल्कि एक तरह की अंतरराष्ट्रीय चालबाज़ी भी है, जिससे वह अपने देश के अंदरूनी हालात से ध्यान भटका सके।

संयुक्त राष्ट्र में बिलावल की यह फजीहत इस बात का संकेत है कि अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर केवल प्रोपेगेंडा से काम नहीं चलेगा। दुनिया अब तथ्यों और सच्चाई पर आधारित संवाद चाहती है। भारत ने हमेशा लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को अपनाया है, जबकि पाकिस्तान बार-बार आतंकवाद, कट्टरता और झूठे प्रचार का सहारा लेता आया है।

इस पूरे प्रकरण से पाकिस्तान को एक स्पष्ट संदेश मिला है कि अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी उसके झूठे आरोपों और बयानबाज़ी को गंभीरता से नहीं लेता। भारत के मुसलमानों को लेकर दिया गया बिलावल का बयान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उलटा पड़ गया और अब पाकिस्तान को खुद अपने अंदर झांकने की जरूरत है।

आज भारत की सैन्य शक्ति, कूटनीति और आंतरिक एकता ने यह साबित कर दिया है कि आतंक के खिलाफ लड़ाई में वह पूरी तरह सक्षम और सजग है। और वह दिन दूर नहीं जब ऐसे प्रोपेगेंडा पूरी तरह बेनकाब होंगे और विश्व समुदाय सही तथा सच्चे पक्ष को पहचान कर निर्णय करेगा। इसलिए यह समय पाकिस्तान के लिए आत्ममंथन का है, न कि दूसरों पर बेबुनियाद आरोप लगाने का।