पवन कल्याण ने किया शर्मिष्ठा पनौली का समर्थन: “सनातन धर्म पर हमला करने वालों पर क्यों नहीं होती कार्रवाई?

हाल ही में एक वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर विवादों में आईं लॉ स्टूडेंट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनौली को लेकर अब सियासी हलकों में हलचल तेज हो गई है। इस बीच आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जनसेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण ने खुलकर शर्मिष्ठा के समर्थन में बयान दिया है। उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को एकतरफा कार्रवाई करार दिया और सवाल उठाया कि जब तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद सनातन धर्म का मजाक उड़ाते हैं, तो कोई सख्त कदम क्यों नहीं उठाया जाता।

पवन कल्याण ने अपने बयान में कहा, “जब हमारे सनातन धर्म को 'गंदा धर्म' कहा जाता है, तो कोई आक्रोश क्यों नहीं होता? तृणमूल सांसदों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती? उनकी तरफ से माफी कहां है?” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शर्मिष्ठा पनौली ने न केवल अपना वीडियो हटा लिया है, बल्कि उसने सार्वजनिक रूप से माफी भी मांग ली है। ऐसे में उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करना अतिरिक्त और पक्षपाती नजर आता है।



इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई जब शर्मिष्ठा पनौली ने एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें उन्होंने बॉलीवुड के उन कलाकारों की आलोचना की थी जो “ऑपरेशन सिंदूर” जैसे गंभीर मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए हैं। इस वीडियो के आधार पर कोलकाता पुलिस ने उनके खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने और वर्गों के बीच नफरत फैलाने जैसी गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

हालांकि, शर्मिष्ठा ने जल्दी ही अपनी गलती मानते हुए वीडियो डिलीट कर दिया और सार्वजनिक माफी जारी की, लेकिन इसके बावजूद कानूनी प्रक्रिया नहीं रुकी। इस पर पवन कल्याण ने नाराज़गी जताई और कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में सेक्युलरिज़्म का अर्थ सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान होना चाहिए, न कि कुछ खास धर्मों के खिलाफ बोलने पर कठोर कार्रवाई और दूसरों पर मौन।

उन्होंने कहा, “सेक्युलरिज्म कुछ के लिए ढाल और दूसरों के लिए तलवार नहीं हो सकता।” पवन कल्याण का यह बयान न केवल इस मुद्दे को नया आयाम देता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अब धार्मिक भावनाओं से जुड़े मामलों में दोहरी मानसिकता के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं।

गौरतलब है कि पवन कल्याण इससे पहले भी सनातन धर्म की रक्षा के लिए कई बार सार्वजनिक मंचों पर अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने 'सनातन धर्म प्रोटेक्शन बोर्ड' बनाने का प्रस्ताव भी रखा था, जो राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कार्य करेगा और सनातन परंपराओं की रक्षा करेगा।

यह पूरा विवाद न केवल शर्मिष्ठा पनौली की गिरफ्तारी तक सीमित है, बल्कि इससे जुड़े सवाल हमारे समाज की धार्मिक सहिष्णुता, अभिव्यक्ति की आज़ादी, और मीडिया ट्रायल जैसे मुद्दों को भी सामने लाते हैं। सोशल मीडिया और राजनीतिक मंचों पर अब यह बहस छिड़ गई है कि क्या सचमुच भारत में सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार हो रहा है?

अब देखने वाली बात यह होगी कि इस मामले में आगे क्या रुख अपनाया जाएगा, क्या शर्मिष्ठा को न्याय मिलेगा या यह मामला भी एक राजनीतिक बहस बनकर रह जाएगा। लेकिन इतना तय है कि पवन कल्याण के बयान ने इस विवाद को एक नई दिशा जरूर दे दी है।

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