शर्मिष्ठा पनौली की गिरफ्तारी पर सुवेन्दु अधिकारी का तीखा हमला: “महुआ, सयोनि, फिरहाद पर कोई कार्रवाई नहीं, लेकिन…”

हाल ही में लॉ स्टूडेंट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनौली की गिरफ्तारी के बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति में नया बवाल खड़ा हो गया है। इस गिरफ्तारी पर राज्य के नेता प्रतिपक्ष सुवेन्दु अधिकारी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे राजनीतिक पक्षपात और धार्मिक असहिष्णुता का मामला बताया है। उन्होंने पश्चिम बंगाल की पुलिस और ममता सरकार पर आरोप लगाया है कि वे धर्म विशेष के खिलाफ बोलने वालों पर चुप्पी साधे रहते हैं, लेकिन जब कोई हिंदू आस्था की रक्षा की बात करता है, तो तुरंत कार्रवाई की जाती है।



सुवेन्दु अधिकारी ने अपने बयान में कहा, “महुआ मोइत्रा ने मां काली को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की थी, सयोनि घोष ने भगवान महादेव का अपमान किया था, और फिरहाद हाकिम पर कई FIR दर्ज हैं – लेकिन किसी के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हुई। वहीं जब शर्मिष्ठा पनौली ने पाकिस्तानियों के खिलाफ टिप्पणी की, तो बंगाल पुलिस ने तुरंत उसे गिरफ्तार कर लिया।” इस बयान से उन्होंने स्पष्ट रूप से पश्चिम बंगाल सरकार की दोहरे मापदंड अपनाने की नीति पर सवाल खड़े किए हैं।

गौरतलब है कि शर्मिष्ठा पनौली ने एक वीडियो में “Operation Sindoor” के तहत भारत में पाकिस्तान समर्थक मानसिकता पर सवाल उठाए थे। हालांकि उन्होंने बाद में वीडियो हटा लिया और माफी भी मांगी, फिर भी कोलकाता पुलिस ने धारा 153A और 295A जैसे गंभीर आरोपों में मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इससे देशभर में बहस छिड़ गई है कि क्या यह कार्रवाई धार्मिक भावनाओं की सुरक्षा के नाम पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन है?

सुवेन्दु अधिकारी ने यह भी कहा कि ममता सरकार की तुष्टीकरण की राजनीति अब खुलकर सामने आ गई है और जनता इसका जवाब आने वाले चुनावों में जरूर देगी। उन्होंने यह भी मांग की कि जो लोग बार-बार हिंदू धर्म और देवी-देवताओं का अपमान करते हैं, उनके खिलाफ भी उसी गंभीरता से कार्रवाई होनी चाहिए जैसे शर्मिष्ठा के खिलाफ की गई।

यह पूरा विवाद एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या भारत में धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आज़ादी सबके लिए बराबर है, या फिर यह भी अब राजनीतिक समीकरणों पर आधारित हो गई है?

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