👋 Join Us राजनाथ सिंह ने SCO बैठक में दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से किया इनकार

राजनाथ सिंह ने SCO बैठक में दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से किया इनकार

हाल ही में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने एक ऐसा कदम उठाया जिसने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में हलचल मचा दी। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उस संयुक्त दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया जिसमें भारत के राष्ट्रीय हितों की उपेक्षा की गई थी। इस निर्णय के पीछे दो प्रमुख कारण रहे – पहलगाम के आतंकी हमले का जिक्र न होना और बलूचिस्तान का संदर्भ दिया जाना।



पहलगाम हमले का उल्लेख हटाना बना बड़ा विवाद

फरवरी 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में एक बड़े आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई थी। भारत इस हमले को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का जीवंत उदाहरण मानता है। लेकिन SCO के साझा दस्तावेज़ में इस हमले का कोई उल्लेख नहीं किया गया। भारत ने इसे एक गंभीर चूक माना, जिससे उसके राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों की अनदेखी हुई।

राजनाथ सिंह ने साफ तौर पर कहा कि आतंकवाद पर दोहरी नीति किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है। अगर आतंक के सबसे गंभीर मामलों को नजरअंदाज किया जाएगा, तो भारत उस दस्तावेज़ को समर्थन नहीं दे सकता।


बलूचिस्तान का जिक्र – पाकिस्तान को परोक्ष समर्थन?

इस दस्तावेज़ में पाकिस्तान के बलूचिस्तान क्षेत्र का उल्लेख आतंकवाद या अस्थिरता के संदर्भ में किया गया था। भारत ने इसे पाकिस्तान को परोक्ष समर्थन देने की कोशिश के रूप में देखा। इससे यह संकेत गया कि एक ओर भारत के पीड़ित क्षेत्रों को नजरअंदाज किया जा रहा है, और दूसरी ओर पाकिस्तान की स्थिति को अंतरराष्ट्रीय दस्तावेज़ में प्रमुखता दी जा रही है।

यह भारत के लिए अस्वीकार्य था और इसी वजह से राजनाथ सिंह ने स्पष्ट रूप से इस दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।


SCO मंच पर भारत की सख्त नीति

राजनाथ सिंह ने SCO बैठक में न सिर्फ दस्तावेज़ का विरोध किया, बल्कि सभी सदस्य देशों से आतंकवाद के विरुद्ध ठोस और निर्णायक कार्यवाही की अपील भी की। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगा, चाहे वो सीमा पार से हो या किसी संगठन की चुप्पी से।

उन्होंने यह भी कहा कि “भारत की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता, और SCO जैसे मंचों पर यदि निष्पक्षता नहीं होगी, तो भारत अपने रुख पर कायम रहेगा।”


द्विपक्षीय बैठकों में भी रखा भारत का पक्ष

SCO बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने चीन, रूस और अन्य सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय वार्ताएं कीं। उन्होंने चीन के रक्षा मंत्री के साथ भी बैठक की, जिसमें भारत-चीन सीमा विवाद और गलवान घाटी जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा हुई।


निष्कर्ष: भारत की सुरक्षा प्राथमिकता सर्वोपरि

राजनाथ सिंह का यह कदम दर्शाता है कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर केवल औपचारिकता निभाने के बजाय स्पष्ट और सशक्त रुख अपनाना चाहता है। दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर न करने का निर्णय भले ही प्रतीकात्मक लगे, लेकिन यह भारत की विदेश नीति और सुरक्षा प्राथमिकताओं का एक शक्तिशाली संदेश है।

भारत अब उन दस्तावेज़ों का हिस्सा नहीं बनेगा जो उसके राष्ट्रीय हितों की अनदेखी करते हैं या आतंकवाद जैसे गंभीर विषयों पर समझौतावादी रुख अपनाते हैं। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि भारत के लिए राष्ट्रहित पहले, बाकी सब बाद में।


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