दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव उस समय देखने को मिला जब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने एक ऐतिहासिक घोषणा करते हुए कहा कि अब आपातकाल के दौरान जेल भेजे गए मीसा बंदियों को दिल्ली सरकार की ओर से पेंशन दी जाएगी। यह फैसला न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक न्याय और लोकतंत्र की रक्षा की दिशा में एक बड़ी पहल मानी जा रही है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने यह घोषणा सचिवालय में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम के दौरान की, जहाँ उन्होंने 1984 सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को भी नियुक्ति पत्र सौंपे।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि दिल्ली की भाजपा सरकार उन सभी राजनीतिक बंदियों को आर्थिक सहायता प्रदान करेगी जो इमरजेंसी के समय मीसा (Maintenance of Internal Security Act) के तहत जेल में डाले गए थे। यह पेंशन योजना उन लोगों के लिए एक प्रकार का सम्मान है, जिन्होंने भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए अपनी आज़ादी को दांव पर लगा दिया था।
आपातकाल की अवधि, जो 1975 से 1977 तक चली, भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काला अध्याय माना जाता है। इस समय सैकड़ों राजनेता, कार्यकर्ता और सामाजिक आंदोलनकारी बिना मुकदमे के गिरफ्तार किए गए थे। ऐसे राजनीतिक बंदियों ने तानाशाही के खिलाफ संघर्ष करते हुए अपने अधिकारों और देश के संविधान की रक्षा के लिए बड़ी कुर्बानी दी थी। आज जब ऐसे लोगों को पेंशन और सम्मान देने की बात हो रही है, तो यह एक राष्ट्रीय कृतज्ञता का प्रतीक बन जाता है।
दिल्ली सरकार की इस पहल से उन मीसा बंदियों को राहत मिलेगी जो आज वृद्धावस्था में पहुंच चुके हैं और आर्थिक रूप से असहाय हो चुके हैं। यह योजना न केवल उनकी मदद करेगी बल्कि समाज को भी यह संदेश देगी कि देश ऐसे लोगों के संघर्षों को कभी नहीं भूलता। यह कदम दिल्ली में सामाजिक सुरक्षा और न्याय के दायरे को और व्यापक बनाएगा।
यह योजना उन कई राज्यों की तर्ज पर लाई जा रही है, जहाँ पहले से ही मीसा बंदियों को "लोकतंत्र सेनानी" का दर्जा देकर पेंशन प्रदान की जाती है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों में इस तरह की योजनाएं पहले से लागू हैं। अब दिल्ली ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाकर यह साबित कर दिया है कि वह भी अपने लोकतांत्रिक इतिहास को संजोने और सम्मानित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस योजना से जुड़े पात्रता मानदंड और पेंशन राशि की जानकारी जल्द ही दिल्ली सरकार द्वारा जारी की जाएगी। संभावना है कि इस योजना में उन्हीं बंदियों को शामिल किया जाएगा जिनके पास मीसा के तहत जेल में होने के प्रमाण उपलब्ध हैं। साथ ही, यह भी स्पष्ट किया गया है कि योजना को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से लागू किया जाएगा ताकि किसी प्रकार की राजनीतिक या व्यक्तिगत भेदभाव की गुंजाइश न रहे।
दिल्ली सरकार की यह पहल लोकतंत्र के मूल्यों को सहेजने और उन्हें मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने स्पष्ट रूप से कहा कि भाजपा सरकार ऐसे हर व्यक्ति को उनका सम्मान और अधिकार दिलाने के लिए कृतसंकल्प है, जिसने लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपने जीवन की लड़ाई लड़ी है। यह योजना सिर्फ एक पेंशन योजना नहीं, बल्कि देश के प्रति किए गए संघर्षों की एक स्वीकृति और सम्मान है।
इस निर्णय से यह भी स्पष्ट होता है कि दिल्ली सरकार लोकतंत्र की नींव को और मजबूत करना चाहती है। यह योजना उन सभी के लिए प्रेरणा है जो लोकतंत्र और संविधान के लिए लड़ते हैं। आने वाले समय में यह फैसला एक आदर्श की तरह देखा जाएगा, और यह उम्मीद की जा सकती है कि देश के अन्य राज्य भी इस तरह की पहलों को अपनाकर लोकतांत्रिक मूल्यों को सशक्त बनाएंगे।