झारखंड की राजनीति में एक बार फिर से धर्मांतरण का मुद्दा गरमा गया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि सरकार को सबसे पहले कन्वर्जन यानी जबरन धर्मांतरण की बढ़ती घटनाओं पर ध्यान देना चाहिए। मरांडी ने इसे न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश के लिए एक गंभीर खतरा बताया और कहा कि अगर सरकार ईमानदारी से काम करना चाहती है तो उसे धर्मांतरण रोकने के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए।
बाबूलाल मरांडी ने स्पष्ट कहा कि राज्य में प्रलोभन और दबाव के ज़रिये धर्म परिवर्तन की घटनाएं बढ़ रही हैं और हेमंत सरकार इन मामलों को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की नीतियां ऐसे लोगों को संरक्षण दे रही हैं जो भोले-भाले आदिवासियों और गरीबों को लालच देकर उनका धर्म बदलवा रहे हैं। मरांडी का कहना है कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने इन घटनाओं को रोकने के लिए कानून बनाया था, जिससे समाज में एक डर का माहौल बना था। लेकिन मौजूदा सरकार के आने के बाद वह डर समाप्त हो गया है और धर्मांतरण की घटनाएं फिर से तेज़ हो गई हैं।
हाल ही में झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के एक गांव में हुई घटना को बाबूलाल मरांडी ने गंभीर चिंता का विषय बताया है। उन्होंने कहा कि एक मुस्लिम युवक द्वारा एक नाबालिग छात्रा का अपहरण कर जबरन धर्म परिवर्तन का प्रयास किया गया, जिसके कारण गांव में तनाव का माहौल बन गया और लोगों ने आरोपी का घर तक जला डाला। इस घटना के बाद राज्य में कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं। मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की है कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बना सकती है तो उसे जबरन धर्मांतरण और लव जिहाद को रोकने के लिए भी विधेयक लाना चाहिए। मरांडी ने यह सवाल उठाया कि आखिर सरकार एकतरफा कानून क्यों बना रही है? क्या जबरन धर्मांतरण मॉब लिंचिंग से कम खतरनाक है? उन्होंने कहा कि धर्मांतरण का मुद्दा समाज की एकता और संस्कृति के लिए खतरा बनता जा रहा है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
बाबूलाल मरांडी ने यह भी सुझाव दिया कि सरकार को राज्य के पारंपरिक धार्मिक स्थलों का संरक्षण और विकास करना चाहिए, ताकि लोगों की आस्था मज़बूत हो और वे अपने धर्म व संस्कृति से जुड़े रहें। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की पहचान उसकी संस्कृति और परंपराओं से है और उन्हें जबरन धर्मांतरण के ज़रिये खत्म करने की कोशिश की जा रही है।
इस पूरे बयानबाज़ी से यह साफ़ हो गया है कि झारखंड में आने वाले समय में धर्मांतरण एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है। भाजपा इसे लेकर सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में है और बाबूलाल मरांडी इसके प्रमुख चेहरे बनकर उभरे हैं। उन्होंने जनता से भी अपील की कि वे अपनी संस्कृति और पहचान को बचाने के लिए सतर्क रहें और ऐसे किसी भी प्रयास का विरोध करें जो उनके धर्म या समाज को नुकसान पहुंचाए।
इस प्रकार झारखंड की सियासत में धर्मांतरण एक संवेदनशील मुद्दा बन चुका है और भाजपा इसे लेकर राज्य सरकार पर लगातार दबाव बना रही है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि हेमंत सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।
Sources:
ThePrint की रिपोर्ट
ABP Live की खबर
Panchjanya रिपोर्ट