हाल ही में नीति आयोग के CEO बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि भारत ने अब जापान को पीछे छोड़ दिया है और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने यह दावा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की रिपोर्ट के हवाले से किया। उनके इस बयान को मीडिया में बड़े स्तर पर प्रसारित किया गया और कई लोगों ने इसे भारत की आर्थिक जीत बताया। हालांकि, जब IMF की अप्रैल 2025 की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट को बारीकी से देखा गया, तो यह बात सामने आई कि यह दावा समय से थोड़ा पहले कर दिया गया है।
दरअसल, IMF के अनुसार भारत 2025 में जापान को पीछे छोड़ सकता है, लेकिन अप्रैल 2025 तक की स्थिति में भारत और जापान की अर्थव्यवस्था लगभग बराबरी पर है। IMF के अनुमान के अनुसार भारत की GDP इस साल 4.187 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है, जबकि जापान की GDP 4.186 ट्रिलियन डॉलर के आस-पास रहेगी। यानी अंतर बहुत मामूली है और यह कहना जल्दबाजी होगी कि भारत अब जापान को पूरी तरह पीछे छोड़ चुका है।
नीति आयोग के प्रमुख का यह बयान लोगों को प्रेरणा देने वाला तो है, लेकिन जब सरकारी स्तर पर इस प्रकार की घोषणा की जाती है, तो उससे सटीकता और समयबद्धता की अपेक्षा होती है। सोशल मीडिया पर इस विषय पर जमकर चर्चा हुई और कई लोगों ने मजाक में कहा, "Hello, excuse me sir, आपके साथ एक छोटा सा प्रैंक हो गया है।" इसका आशय यही था कि बयान तो सच था, लेकिन उसे थोड़ी जल्दी में कह दिया गया।
अब अगर भारत की अर्थव्यवस्था की बात करें तो इसमें लगातार प्रगति हो रही है। सेवा क्षेत्र, निर्माण, डिजिटल इकोनॉमी और ग्रामीण खपत में तेजी से वृद्धि ने भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूत स्थिति में पहुंचाया है। वहीं जापान की अर्थव्यवस्था थोड़ी सुस्त गति से आगे बढ़ रही है और अनुमान है कि उसकी वृद्धि दर 0.6% के आस-पास रह सकती है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस विषय पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि भारत को अब चौथे स्थान से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि देश को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेज़ी से काम करना होगा। IMF की रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारत इसी गति से बढ़ता रहा तो वह 2027 तक जर्मनी को पीछे छोड़ सकता है और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
हालांकि एक बात और जो ध्यान देने योग्य है, वह यह कि भारत की प्रति व्यक्ति आय अभी भी दुनिया में 144वें स्थान पर है। यानी समग्र आर्थिक विकास के साथ-साथ हमें सामाजिक ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं में भी व्यापक सुधार की आवश्यकता है ताकि यह आर्थिक विकास वास्तव में देश के हर नागरिक तक पहुंचे।
अंत में यही कहा जा सकता है कि भारत का जापान से आगे निकलना केवल समय की बात है, लेकिन किसी भी आर्थिक आंकड़े को लेकर जब तक IMF या वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में स्पष्ट पुष्टि न हो, तब तक जल्दबाजी में सार्वजनिक बयान देने से बचना चाहिए। भारत की आर्थिक यात्रा ऐतिहासिक मोड़ पर है, और यदि हम सतत और समावेशी विकास की ओर आगे बढ़ते रहें, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत न केवल चौथी, बल्कि तीसरी और फिर दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।