भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoJK) को लेकर एक ऐतिहासिक और भावनात्मक बयान दिया है, जो राष्ट्रीय अखंडता की भावना को और भी मज़बूत करता है। उन्होंने एक प्रेरणादायक उदाहरण के साथ PoJK की तुलना महाराणा प्रताप और उनके छोटे भाई शक्ति सिंह से की। राजनाथ सिंह ने कहा कि जैसे महाराणा प्रताप के लिए शक्ति सिंह उनके ही भाई थे, जो भले ही कुछ समय के लिए अलग हो गए थे लेकिन अंत में लौटकर उनके पास ही आए, वैसे ही PoJK भी भारत से कुछ समय के लिए बिछड़ गया है, लेकिन वह भी लौटकर अपने भाई भारत के पास ही आएगा।
यह बयान रक्षा मंत्री ने जम्मू के अखनूर में आयोजित 9वें सशस्त्र बलों के वेटरन्स डे कार्यक्रम के दौरान दिया, जहाँ उन्होंने भारत की सीमाओं की सुरक्षा में लगे पूर्व सैनिकों का सम्मान किया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर तब तक अधूरा है जब तक PoJK भारत के साथ पुनः नहीं जुड़ता। यह केवल एक राजनीतिक या भौगोलिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह भारत की आत्मा और राष्ट्रीय गर्व से जुड़ा प्रश्न है।
राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि पाकिस्तान ने PoJK को आतंकवाद और भारत विरोधी गतिविधियों का अड्डा बना दिया है। वहां से लगातार भारत के खिलाफ साजिशें रची जाती हैं, जिससे भारत की सुरक्षा और शांति को खतरा बना रहता है। ऐसे में भारत सरकार और भारतीय जनता का यह कर्तव्य बनता है कि वह PoJK को पुनः भारत में शामिल कराने के लिए हरसंभव प्रयास करे।
उन्होंने यह भी कहा कि देश की सेनाएं पूरी तरह सक्षम हैं और अगर युद्ध की नौबत आई तो भारत विजयी होकर निकलेगा। राजनाथ सिंह ने यह भी बताया कि अब सरकार तीनों सेनाओं के लिए संयुक्त थिएटर कमांड्स की स्थापना कर रही है, जिससे रणनीतिक रूप से देश की सैन्य शक्ति को और अधिक मज़बूती मिलेगी।
इसके पहले भी राजनाथ सिंह ने कई मौकों पर PoJK को लेकर स्पष्ट रुख अपनाया है। उन्होंने कहा था कि यह कैसे संभव है कि बाबा अमरनाथ भारत में हों और मां शारदा पीठ नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तान के कब्जे में? भारत की संस्कृति, आस्था और इतिहास से जुड़ा यह क्षेत्र कभी भी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं हो सकता।
राजनाथ सिंह के इस बयान के पीछे केवल राजनीतिक संदेश नहीं, बल्कि एक गहरी भावनात्मक और ऐतिहासिक सोच भी छिपी है। यह बयान देशवासियों को याद दिलाता है कि PoJK केवल एक भू-भाग नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर का अभिन्न अंग है।
आज जब देश वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मज़बूत कर रहा है, ऐसे में PoJK की वापसी की उम्मीद भी और प्रबल हो गई है। भारत की सैन्य, कूटनीतिक और सामरिक शक्ति में निरंतर वृद्धि हो रही है, जिससे यह सपना अब असंभव नहीं रहा। PoJK का भारत में विलय न केवल राष्ट्रीय स्वाभिमान की बात है, बल्कि यह उन लाखों कश्मीरियों की भावनाओं से भी जुड़ा है जो आज भी अपने घर लौटने की उम्मीद में हैं।
राजनाथ सिंह का यह ऐतिहासिक बयान न केवल भारत के लिए एक नई ऊर्जा का संचार करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी यह संदेश देता है कि भारत अपने भू-भाग और संप्रभुता से कभी समझौता नहीं करेगा। PoJK भारत का था, है और रहेगा — यह भावना आज और भी दृढ़ हो चुकी है।