👋 Join Us राजस्थान SI भर्ती घोटाला: पेपर लीक से लेकर थानेदारों की गिरफ्तारी तक, क्या मिलेगा युवाओं को इंसाफ?

राजस्थान SI भर्ती घोटाला: पेपर लीक से लेकर थानेदारों की गिरफ्तारी तक, क्या मिलेगा युवाओं को इंसाफ?

 राजस्थान की चर्चित एसआई भर्ती परीक्षा 2021 एक बड़े घोटाले में तब्दील हो गई है, जिसने प्रदेश की कानून व्यवस्था और भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस परीक्षा में धांधली के आरोप इतने गहरे हैं कि अब तक 200 से अधिक थानेदार जांच के दायरे में आ चुके हैं। राजस्थान स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) की जांच में सामने आया है कि पेपर लीक मामले में बड़े स्तर पर सुनियोजित साजिश रची गई थी, जिसमें कई पुलिस अधिकारी, रसूखदार और आरएएस स्तर के अफसर भी शामिल थे।

एसआई भर्ती परीक्षा 2021 में हुई धांधली के बाद अब तक कुल 50 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और 45 ट्रेनी थानेदारों को बर्खास्त कर दिया गया है। जिन उम्मीदवारों को मेरिट के आधार पर टॉप रैंक मिली थी, उनमें से भी कई पर फर्जीवाड़े का आरोप लगा है। गिरफ्तार किए गए टॉप 20 अभियुक्तों में जयपुर, नागौर, सीकर, भरतपुर, श्रीगंगानगर और बाड़मेर जैसे जिलों के युवक शामिल हैं। कुछ फरार आरोपियों की तलाश अभी भी जारी है।



इस घोटाले की शुरुआत तब हुई जब यह पाया गया कि परीक्षा के प्रश्नपत्र परीक्षा से पहले ही लीक हो चुके थे। SOG ने जांच में यह पुष्टि की कि प्रश्नपत्र जयपुर के एक निजी स्कूल से लीक हुआ था और इसके बाद लाखों रुपये लेकर उम्मीदवारों तक पहुंचाया गया। इस कड़ी में RPSC के पूर्व सदस्य, आरएएस अधिकारी और कई अन्य सरकारी कर्मी भी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा है कि इन उम्मीदवारों ने लाखों मेहनती युवाओं के साथ विश्वासघात किया है।

इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में स्पष्ट निर्णय दे। कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार 26 मई तक यह नहीं बताती कि भर्ती रद्द की जाएगी या नहीं, तो न्यायालय अपने स्तर पर फैसला सुनाएगा। सरकार का तर्क है कि यदि पूरी भर्ती रद्द की जाती है, तो इससे ईमानदारी से पास हुए उम्मीदवारों को भी नुकसान होगा, जबकि याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जब परीक्षा ही फर्जी थी तो उसकी पूरी प्रक्रिया रद्द होनी चाहिए।

राजनीतिक दलों ने भी इस मामले पर तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं। बेरोजगार युवा यह सवाल कर रहे हैं कि जब कांग्रेस सरकार में पेपर लीक हुआ था, तो बीजेपी सरकार ने जांच के नाम पर सिर्फ दिखावा क्यों किया? विपक्ष आरोप लगा रहा है कि दोनों सरकारों का पेपर लीक के मामलों पर ‘गहरा गठबंधन’ है। बीजेपी सिर्फ ‘कमेटी बनाओ और लीपापोती करो’ की रणनीति पर काम कर रही है। जनता को अब 26 मई को न्यायालय के फैसले का इंतजार है, जहां से यह तय होगा कि इस भर्ती को रद्द किया जाएगा या नहीं।

यह मामला न सिर्फ एक परीक्षा की पारदर्शिता का है, बल्कि लाखों युवाओं के भविष्य का सवाल है। यदि समय पर निष्पक्ष निर्णय नहीं लिया गया, तो यह अन्य परीक्षाओं में भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा और युवाओं का भरोसा सरकारी प्रणाली से उठ जाएगा। राजस्थान सरकार और न्यायपालिका पर अब यह जिम्मेदारी है कि वे इस घोटाले में दोषियों को सजा दिलाएं और ईमानदार युवाओं को न्याय दें।

National Herald रिपोर्ट