आज के दौर में गाड़ियों में सुरक्षा तकनीकों का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। कार निर्माता कंपनियाँ लगातार ऐसी टेक्नोलॉजी ला रही हैं जो न केवल ड्राइविंग को आसान बनाए, बल्कि ड्राइवर और यात्रियों की जान की हिफाजत भी करे। जर्मन ऑटोमोबाइल कंपनी Volkswagen (वोक्सवैगन) ने भी इस दिशा में एक बड़ी पहल की है। कंपनी ने अपनी कारों में एक ऐसी अत्याधुनिक तकनीक जोड़ी है, जो ड्राइवर की नींद या थकान की स्थिति में स्वतः सक्रिय हो जाती है और संभावित दुर्घटनाओं से बचाने में मदद करती है।
Volkswagen की यह खास तकनीक दो भागों में काम करती है—पहला है 'Fatigue Detection System' और दूसरा 'Emergency Assist'। दोनों सिस्टम्स मिलकर ड्राइवर की हर हरकत पर नजर रखते हैं और जब भी किसी अनहोनी की आशंका होती है, तो कार स्वतः सुरक्षा मोड में चली जाती है।
Fatigue Detection System ड्राइवर की सामान्य ड्राइविंग पैटर्न को रिकॉर्ड करता है। जब भी ड्राइवर थका हुआ होता है या उसकी स्टेयरिंग पर पकड़ ढीली होती है, बार-बार lane change होता है या प्रतिक्रिया धीमी पड़ती है, तब यह सिस्टम अलर्ट मोड में आ जाता है। सबसे पहले कार एक वॉर्निंग साउंड बजाती है जिससे ड्राइवर चौकन्ना हो सके। इस चेतावनी के साथ डैशबोर्ड पर एक ब्रेक लेने का संदेश भी दिखाई देता है। अगर ड्राइवर तब भी प्रतिक्रिया नहीं देता, तो कार अगला कदम उठाती है।
Emergency Assist सिस्टम तब एक्टिव होता है जब ड्राइवर चेतावनी देने के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नहीं देता। यह सिस्टम कार को धीरे-धीरे कंट्रोल में ले लेता है। पहले कार हल्के ब्रेक झटकों के माध्यम से ड्राइवर को जगाने की कोशिश करती है। यदि फिर भी ड्राइवर नहीं जागता, तो यह कार को अपने आप सुरक्षित लेन में शिफ्ट कर देती है और ‘Auto Driving Mode’ में आ जाती है। यानी अब कार खुद-ब-खुद चलती है और नजदीकी आपातकालीन लेन या सुरक्षित स्थान पर धीरे-धीरे रुक जाती है।
इस तकनीक का लाभ केवल ड्राइवर को ही नहीं, बल्कि सड़क पर चलने वाले अन्य वाहनों और पैदल यात्रियों को भी होता है। थकावट या नींद के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में Volkswagen की यह तकनीक दुर्घटनाओं को कम करने में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभदायक है जो लंबी दूरी की यात्रा करते हैं, रात के समय ड्राइव करते हैं या लगातार ड्राइविंग के कारण थकान का शिकार हो जाते हैं।
यह तकनीक Volkswagen की कई नई कारों में उपलब्ध है और कंपनी आने वाले समय में इसे और उन्नत रूप में पेश करने की योजना बना रही है। इसके अलावा अन्य वाहन निर्माता कंपनियाँ भी ऐसी ही ड्राइवर-सहायता तकनीकों पर काम कर रही हैं, जिससे कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में सुरक्षा का नया मानक तय हो सके।
यदि देखा जाए तो यह तकनीक आने वाले समय की ‘सेल्फ-ड्राइविंग’ कारों की नींव भी है। जिस तरह से यह सिस्टम ड्राइवर की स्थिति पर नज़र रखता है और खुद कार को संभालता है, यह दर्शाता है कि भविष्य में दुर्घटनाएं तकनीक की सहायता से लगभग समाप्त की जा सकती हैं।
Volkswagen की यह पहल निश्चित रूप से सुरक्षा के क्षेत्र में एक नया अध्याय है। यह तकनीक उन ड्राइवरों के लिए वरदान साबित हो सकती है जो कभी-कभार अनजाने में थक कर गाड़ी चलाते हैं। एक छोटी सी टेक्नोलॉजिकल चेतावनी कई जिंदगियों को बचा सकती है—यही इस सिस्टम का सबसे बड़ा उद्देश्य है।